Friday, 23 June 2017

यूरिक एसिड (Gout) का उपचार

आयुर्वेद द्वारा बढ़े यूरिक एसिड (Gout) का उपचार

यूरिक एसिड का निर्माण उस समय होता है जब शरीर में प्यूरिन न्यूक्लियटाइड का निर्माण होता है जो कि ग़लत रूप से अपचय(catabolise) होती है. शरीर में यूरिक एसिड के अतिरिक्त मात्रा होने से गठिया तथा अन्य संबंधित रोग उत्पन्न

यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण 

  • गठिया
  • ज्वर/ बुखार
  • सूजन/ शोथ
  • तीखा सुई के चुभने जैसा दर्द
  • घुटनों में सूजन
  • त्वचा की रंगत का बदलना
  • शरीर के जोड़ों में दर्द और लालिमा

गठिया के कारण

यह रक्त धातु और वात के कुपित हो जाने के कारण उत्पन्न होता है. गठिया को आयुर्वेद में वातरक्त भी कहा जाता है.
यह रोग खट्टे, तीखे, मसालेदार, तले हुए भोजन का अत्याधिक सेवन करने से, लाल माँस, दिन में सोने, अत्याधिक क्रोध करने से, शरीर में प्राकृतिक वेगॉन को रोकने से, अत्याधिक कामुक व्यवहार के कारण उत्पन्न हो सकता है हो जाते हैं.  यह रोग ख़ास तौर पर पैरों के जोड़ों में उत्पन्न होता है.
यह रसायन अन्य रोगों के होने की स्थिति में भी पाय जाता है. इस रोग से निजात पाने के लिए कुछ सरल से कदम अवश्य उठाएँ:
  • खूब सारा पानी पीजिए
  • मीट, टोफू, मछली, सार्डीन, और अन्य प्रकार का माँस ग्रहण नही करना चाहिए.
  • शतावरी, मशरूम, पालक, सोयाबीन, पनीर, मटर भी नही खाने चाहिए.
  • सेब का जूस मत पीजिए.
  • डिब्बाबंद जूस का भी सेवन नही करना चाहिए.
  • घृत कुमारी और आमले का रस रोज़ सेवन करना चाहिए.
  • नारियल पानी का सेवन भी नियमित रूप से करें.
  • प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का ही सेवन करें. और प्रोसेस्ड फुड और जंक फुड को मत खाएँ.
  • इस रोग में उबले हुए सब्जी का सेवन ही श्रेष्ठ है.
  • हल्का व्यायाम करना भी अच्छा है.
  • जोड़ों पर हल्के कुनकुने तिल के तेल से हल्की मालिश करनी चाहिए.
  • विटामिन ‘सी’ और ‘ए’ की प्रचुर मात्रा वाले भोजन आवश्यक रूप से लें.
  • ठंडी और नमी युक्त स्थानों पर नही रहना चाहिए.
  • लहसुन, अदरक, ज़ीरा, सौंफ, धनिया, एलाईची, दालचीनी का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करें.
  • दूध और इससे बने पदार्थ खाकर दही का सेवन न करें.
  • तनाव और चिंता ग्रस्त होना छोड़ दें.
  • इस बीमारी का जल्द से जल्द चिकित्सकीय विशेषज्ञ से आयुर्वेदीय इलाज करवाएँ अन्यथा यह जितनी पुरानी होगी उतनी ही असाध्य होती जाएगी.

इलाज में उपयोगी औषधियाँ 

  • किशोर गुग्गूल
  • गोरख़मुंडी पाउडर
  • नवकार्षिक चूर्ण
  • पुनर्नवादी  मंडूर
  • शाल्लाकी
  • अश्वगंधा
  • पिंड तेल या गुडुचियादी तेल

नवकार्षिक चूर्ण 

चक्रदत्त संहिता में औषधीय मिश्रण जिसमें अनेक रकतशोधक और यूरिक एसिड घटाने वाली प्राकृतिक औषधियाँ एक दूसरे की सहायता करते हुए कार्यरत होती हैं, इनका वर्णन है. नवकार्षिक चूर्ण का 1 चम्मच हर रोज़ सेवन करना आवश्यक है. या फ़िर रात्रि को इसके 2 चम्मच पानी में भिगो कर रखें तथा प्रातः काल उठकर पानी को पी लीजिए.
नवकार्षिक चूर्ण वास्तव में रक्त की शुद्धि करने वाला है जिसमें आमला, बहेरा, हरड़, दारू हरिद्रा, बच, कुटकी, गिलोय, नीम, मंजिष्ठ इन सब प्राकृतिक औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है. यदि गठिया में दर्द भी हो तो साथ में किशोर गुग्गुलु भी चिकित्सकीय परामर्श के बाद लिया जा सकता है

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