कान के दर्द का इलाज़
कान का दर्द आमतौर में सर्दियों मे ठंडी हवा के कारण होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की यह दर्द सिर्फ़ सर्दियों में ही होता है। कान का दर्द किसी भी ऋतु और किसी भी समय हो सकता है। वैसे तो कान मे दर्द होने के कई कारण हो सकते है।
कान के दर्द से ग्रसित व्यक्ति को असहनीय दर्द से झूजना पड़ता है। कान के दर्द से शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। व्यक्ति न तो ठीक से सो पाता है और न ही ठीक से चल पाता है। बस दर्द की वेदना में कान के हाथ लगाए दर्द जाने का इंतज़ार करता है। आपको इस तरह इंतज़ार न करना पड़े इसलिए हम आपके लेकर आये है कान के दर्द का रामबाण इलाज़।
कान के दर्द का प्राकृतिक उपाय, विकल्प और उपचार –
लहसुन की एक गाँठ में से दो कली लेकर छिलका और झिल्ली उतार लें। दो चम्मच सरसों के तेल में डालकर हल्की-हल्की आंच पर गर्म करने के लिए रखें।
जब लहसुन जलने लगे और काला पड़ने लगे तब तेल की कटोरी आग से उतारकर तेल को कपड़छान कर लें अथवा निथरे हुए गुनगुने तेल को रुई के फाहे से कान में सुहाता-सुहाता दो-चार बूंद डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
विशेष- यदि कान में कीड़ा चला गया हो तो वह मरकर अपने आप बाहर निकल आता है और दर्द बन्द हो जाता है। यदि कान बहता हो तो लहसुन के साथ नीम की दस पन्द्रह कोपलें या पाँच सात पतियाँ भी औटाएँ। तत्पश्चात् दो बूंद रात को सोने से पहले कुछ दिन डालते रहने से कान का जख्म और कान का बहना ठीक हो जाता है।
विकल्प- प्याज का रस तनिक-सा गर्म करके दो-तीन बूंद कान में डालने से कान का दर्द तुरन्त दूर हो जाता है। प्याज को कूट पीसकर मलमल के कपड़े से निचोड़ कर रस निकालें और इस प्याज के रस को थोड़ा सा गर्म करके दो-तीन बूंद कान में सुहाता-सुहाता डालें। कान में कैसा भी दर्द हो, आराम होगा।
विशेष- इससे ऊँचा सुनना, कान में भिनभिनाहट तथा शायं-शायं की आवाज़ तथा कान का बहना आदि रोगों में भी लाभ होता है। कान के कीड़े भी नष्ट होते है।
No comments:
Post a Comment