Sunday, 28 May 2017

yoga

yoga ka mhtw smjhe
aur aaj se yog karna suru kare
roj daily 20 mint yog kre
aap apne aap ko helthy payege

ayurved

ayurved aapki helth ke liye bhut labhdayk h
aur iska koi side efect bhi nhi hota h
aur rog jad se khtam ho jata h

Saturday, 27 May 2017

beuty tips

चेहरे के दाग धब्बे हटाने के उपाय

नींबू का उपयोग
 आपके के लिए सबसे बेहतर होगा क्योंकि ये बहुत ही आसान और सस्ता है इस उपाय को करने के लिए आप नींबू को काट लें और इसके आधे भाग को अपने चेहरे पर उस जगह पर रगड़ें जंहा पर पिम्पल्स हो रहे हो. और यदि इसे लगते समय आपको जलन महसूस हो तो घबराएं नहीं क्योंकि ये बहुत ही कारगर उपाय है. क्योंकि इसमें साइट्रिक एसिड़, मुँहासों को पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार ड़ालता है. लेकिन एक बात  याद रखें कि चेहरे को नींबू से रगड़ने के बाद उसे पानी से धोएं. बाहर निकलने या कंही जाने से पहले सनस्क्रीन लगा कर ही निकले. और ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि साइट्रिक एसिड़ सूरज की किरणों से आपके चेहरे को होने वाले नुकसान को बढ़ा सकता है.
कच्चा आलू 
आपके लिए खाने में ही नहीं बल्कि कई तरह से उपयोग किया जाता है आप इससे अपने त्वचा में होने वाले रोग को थोड़ा कम कर सकते है. आपको इस उपाय को करने के लिए आलू को काटकर उसे अपने चेहरे या त्वचा के उन जगहों पर लगाना जंहा बहुत ज्यादा पिम्पल्स और रहे हो . आलू में मौजूद एंटी-इनफल्मेटरी गुण घावों को भरने में मदद करते हैं. आलू को अपने चेहरे पर 5 से 10 मिनट के लिए रहने दें. और फिर इसे ठन्डे पानी से अच्छी तरह से धों लें. ऐसा यदि आप इस उपाय को एक सप्ताह तक करते है तो आपका चेहरा चमकदार हो जायेगा और आपके चेहरे के पिंपल पूरी तरह खत्म हो जाती है.
चाय
 पीना सभी के लिए पसंद होता है लेकिन चाय की पत्तियों का तेल भी आपको खूब पसंद आएगा क्योंकि ये बहुत ही गुणकारी औषधी है इसका उपयोग केवल चाय बनाने में ही नहीं बल्कि रोगों को ठीक करने में भी आपकी मदद करता है. और चाय की पत्तियों का तेल एक अच्छी जीवाणुरोधी दवा है. यह बिना किसी दुष्प्रभाव के आपके मुंहासों के धब्बों को मिटा देगी.

Friday, 26 May 2017

तिल खाने के फायदे

तिल खाने के फायदे...

दोस्तों सर्दियों के आते ही ठंड से बचने के लिए आप कई कपड़े पहनते हैं। इससे आपकी केवल बाहर की ठंड बचती है। यदि आप सर्दियों में अंदर की ठंड से बचना चाहते हैं तो तिलों का सेवन करना शुरू कर दें। आप तिलों का सेवन गुड़ के साथ उसका लड्डू बनाकर भी कर सकते हो। कैसे बनता है तिल का लड्डू हमने आपको पहले ही हेल्थ रेस्पी में बताया गया है आप इस लिंक को जरूर देखें।
हम आपको बता रहे हैं तिलो से आपकी सेहत को क्या—क्या फायदे मिल सकते हैं। दोस्तों तिल हमारे शरीर को कई भंयकर बीमारियों जैसे ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, लंग कैंसर, पेट के कैंसर और ल्यूकेमिया जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाता है।
अब आपको बताते हैं तिल खाने के फायदों के बारे में।
तिल खाने के फायदे
खांसी और कान के दर्द में
यदि आपके कान में दर्द हो रहा हो तो आप लहसुन के साथ तिल के तेल को गर्म करें और फिर गुनगुने होने पर इसकी थोड़ी से बूंद कान में डालें। इससे आपको कान दर्द में आराम मिलेगा।
पानी के साथ तिल और मिश्री को मिलाकर खाने से आपको खांसी से राहत मिलती है।
दांतों की सेहत के लिए
दांतांे की कमजोरी व दांतों की समस्या में तिल बहुत ही फायदेमंद होते हैं। यदि आप सर्दियों में सुबह शाम तिलों को चबा चबा कर खाते हैं तो इससे आपके दांत स्वस्थ रहेगें और दांतांे की कैल्शियम की समस्या भी दूर हो जाएगी।

कब्ज की परेशानी में
कब्ज की परेशानी से कई बीमारियां होती है। इनमे से एक रोग है बवासीर। यदि आप काले तिलों को चबा चबाकर खाएं और बाद में ठंडा पानी पीएं तो इससे आपको बवासीर और कब्ज जैसी समस्या से निजात मिलेगा।
त्वचा के जलने पर तिल
यदि किसी कारण से आपकी त्वचा जल जाती है तो आप कपूर या घी के साथ तिल के तेल के साथ मिलाकर त्वचा लगाएं। इससे आग से जली हुई त्वचा में जलन खत्म हो जाती है।
त्वचा की सुंदरता और पोषण के लिए
तिल त्वचा को कोमल और सुंदर बनाता है। यही नहीं तिल चेहरे पर प्राकृतिक चमक लाता है। इसलिए आप तिल के तेल का प्रयोग अपने खाने में करें। यही नहीं आप त्वचा पर भी तिल का तेल लगा सकते हैं। इससे त्वचा को पोषण और नमी मिलती है।
बालों की सेहत के लिए
यदि आप लंबे, धने और मजबूत बाल चाहते हैं तो ऐसे में तिल आपकी मदद करते हैं। यदि आप अपने 

बालों को खुले रखना चाहते हैं जिससे वे मुड़े भी नहीं तो बालों पर तिलों का तेल लगाएं।
यदि आप सफेद बालों की समस्या से परेशान हंै तो रोज थोड़ी मात्रा में तिलों का सेवन करें।
कुछ की दिनों में आपके बाल सफेद होना बंद हो
जाएगें।
बनाए हड्डियों को मजबूत
हड्डियों का कमजोर होना एक आम बात हो गई है। हर उम्र के लोग कमजोर हड्डियों की समस्या से परेशान रहते हैं। जिसकी कई वजह होती हैं जैसे शरीर में कैल्शियम की कमी होना, उचित ढंग से खाना ना खाना आदि। यदि आप तिल का सेवन करते हैं तो इसमें मौजूद गुण आपकी हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ साथ उसका विकास भी करते हैं।
टेंशन को करे कम
भागदौड़ वाली इसे जिंदगी में तनाव भी एक आम समस्या बन गई है। हर इंसान तनाव में रहता है। ऐसे में तिल आपके लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। तिल तनाव और उससे होने
वाले डिप्रेशन की बीमारी से आपको बचाते हैं। तिलों में कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो दिमाग में बेवजह परेशान करने वाले करकों को रोक देते हैं।

गर्म पानी नींबू और शहद के लाभ जाने



        गर्म पानी नींबू और शहद  के लाभ जाने



 

  • सुबह-सुबह गुनगुना पानी पीना तो फायदेमंद है हीं, लेकिन अगर इसमें शहद और निम्बू मिला दिया जाए…
  • तो यह कई चीजों में हमें फायदा पहुंचाता है. इस लेख में हम गुनगुने पानी में शहद डालकर पीने से होने
    वाले फायदों के बारे में जानेंगे.
  • तो आइए जानते हैं इसके फायदों के बारे में :
  • सुबह-सुबह गुनगुने पानी में शहद और नींबू का रस मिलाकर पीने से भूख कम लगती है. इस मिश्रण के पीने से अनावश्यक भूख नहीं लगती है. जिससे वजन खुद-ब-खुद कम हो जाता है.
  • पाचन क्षमता सुधारता है – सुबह गर्म पानी, शहद और नींबू का मिश्रण पेट साफ करता है. नींबू में पाचन
    में मदद करता है और शरीर से बकर पदार्थों को बाहर निकालता है. शहद शरीर में मौजूद संक्रमण को
    दूर करने में
    मदद करता है
  • कब्‍ज दूर करता है 

  • लसीका प्रणाली साफ करने में मदद करता है – इस मिश्रण को पीने से लसीका प्रणाली साफ रखने में
    मदद मिलती है. इससे सुस्ती दूर होती है, कब्ज कम होता है. इस मिश्रण से प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता है.
  • मुँह का दुर्गन्ध खत्म करता है – नींबू, शहद और गुनगुने पानी का मिश्रण सांसों की बदबू दूर करने में
    मदद करता है. नींबू लार ग्रंथियों को सक्रिय करता है और बैक्टीरिया को मारकर मुंह से दुर्गन्ध खत्म
    करता है. जीभ पर जमे सफेद परत को भी ये हटाते हैं. और इस तरह से ये बिना कोई नुकसान पहुंचाए
    मुँह के गंध को खत्म करता है.
  • मूत्र से सम्बन्धित दिक्कतों को कम करता है –
    शहद, निम्बू और गुनगुने पानी का मूत्र मार्ग को साफ करने में मदद करता है. यह मिश्रण यूरिनरी ट्रैक्ट
    इन्फेक्शन से पीड़ित महिलाओं के मूत्र मार्ग का संक्रमण दूर करने में मदद करता है.
  • हमारे शरीर की उर्जा बढ़ाता है –
    शहद और गर्म पानी पीने से शरीर की उर्जा बढ़ती है. शहद शरीर के अंगों को ठीक से काम करने के
    लिए प्रेरित करता है. हर सुबह गुनगुने पानी शहद के साथ लेकर आप दिन भर ऊर्जावान रह सकते हैं.
  • यह मिश्रण हमारी त्‍वचा को भी फायदा पहुंचाता है –
    नींबू में मौजूद क्‍लीजिंग तत्‍व रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है, नई रक्त कोशिकाओं के उत्पादन
    में मदद करता है. इसलिए यह हमारी त्वचा को चमकदार बनाता है.
  • पोषक तत्वों की कमी पूरी करता है –
    शहद, नींबू और गुनगुने पानी में एंटी-आक्सीडेंट, विटामिन और पोषक तत्व होते हैं. इसके सेवन से
    हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है.

men health tip


पुरुषों के लिए हेल्थ टिप्स – Health Tips  For Man Body 



   

  • आधुनिक जीवन शैली पुरुषों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है.  ऐसे में पुरुषों को अपने स्वास्थ्य के बारे में पहले हीं सचेत हो जाना चाहिए, इससे पहले कि उनके खानपान या दैनिक जीवन की कोई आदत उन्हें बाद में महँगी पड़े. अगर आप अभी अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं होंगे, तो आपको किसी न किसी बीमारी का सामना करना पड़ेगा. तो आइए ऐसे टिप्स जानते हैं, जो पुरुषों के लिए उपयोगी हैं.
    पुरुषों के लिए हेल्थ टिप्स :
  • जंक फ़ूड के नियमित सेवन से शुक्राणुओं की गुणवत्ता में कमी आती है. इसलिए अगर जंक फ़ूड आपके दैनिक भोजन का हिस्सा है, तो आपको अपनी इस आदत को जल्द-से-जल्द अलविदा कह देना चाहिए.
  • आपको अपने नाश्ते में आपको दो केले जरुर शामिल करने चाहिए. केले दिन भर आपके काम करने की उर्जा बरकरार रखेंगे और साथ हीं दिल की कई बीमारियों से भी आपको दूर रखेंगे.
  • अगर आप बहुत अधिक पैकिंग फ़ूड खाते हैं, तो आपको अपनी इस आदत को बदलने की जरूरत है. क्योंकि ऐसे फूड्स में ऐसे मेटल्स का उपयोग किया जाता है, जो पुरुषों के लिए अच्छे नहीं होते हैं.
  • व्यायाम या सैर के बिना खुद को स्वस्थ्य रखने की कोशिश करना मूर्खतापूर्ण प्रयास है, इसलिए अगर आप खुद को स्वस्थ्य रखना चाहते हैं, तो व्यायाम या सैर को अपने दैनिक जीवन में शामिल जरुर करें.
  • सोडा, कॉफ़ी, रेड मीट, चिप्स इत्यादि का कभी कभार हीं सेवन करें. क्योंकि इनका नियमित सेवन आपको लम्बे समय में नुकसान हीं पहुंचाएगा.
  • खाने में अच्छी गुणवत्ता वाले तेल का उपयोग करें. खराब गुणवत्ता वाले तेल पुरुषों के लिए नुकसानदायक होते हैं.
  • मोटापा पुरुषों की यौन क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है, इसलिए मोटापे से खुद को दूर रखिए.
  • अगर व्ययाम करने के लिए आपके पास समय नहीं है, तो घर और दफ्तर में लिफ्ट की बजाए सीढ़ियों का उपयोग करें.
  • अपने खाने में मौसमी फल और मौसमी सब्जी को शमिल करें. यह आदत आपको स्वस्थ्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
  • सुबह नाश्ता जरुर करें, और ध्यान रखें कि रात का खाना हल्का होना चाहिए. डिनर 8 बजे तक में कर लेना चाहिए.
  • वही व्यक्ति स्वस्थ्य रह सकता है, जो सुबह जल्दी उठता हो. तो अगर आपको भी देर से उठने की आदत है, तो जल्द हीं अपनी इस आदत को बदल डालिए.
  • सलाद और अंकुरित अनाज को अपने भोजन का हिस्सा जरुर बनाएँ.
  • भोजन करते समय एक समय में रोटी और चावल दोनों न खाएँ.
  • तेलों की मालिश बालों और पूरे शरीर में सप्ताह में कम-से-कम 3 बार जरुर करें.
  • अनावश्यक रूप से दूसरों की जिम्मेदारियाँ न उठाएँ, पैसा कमाने वाली मशीन न बनें…. घूमने भी जाएँ और अन्य गतिविधियों के लिए भी समय निकलें. रविवार का समय खुद को दें.
  • लैपटॉप को जांघों पर रखकर काम न करें, इससे पौरुष क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इससे आप नपुंसक भी बन सकते हैं.

Thursday, 25 May 2017

अपनी त्वचा को स्वस्थ और साफ-सुथरी बनाएं

अपनी त्वचा को स्वस्थ और साफ-सुथरी बनाएं 



अपनी त्वचा को स्वस्थ और साफ-सुथरी बनाएं Homemade Tips For Clear & Spotless Skin in Hindi 
 शरीर की सुन्दरता में सबसे अहम स्थान त्वचा का है | पर मौसम व वातावरण का प्रभाव इसे सबसे ज्यादा प्रभावित करता है | यदि आप कुछ नेचुरल टिप्स अपनाएँ तो त्वचा की नजाकत को बरक़रार रखा जा सकता है |
त्वचा देह की सुरक्षाकवच होती है | अंदर की गंदगी को पसीने के रूप में बाहर निकालने के साथ-साथ बढ़ते केशों का पोषण व उंगलियों पर नाखूनों को थामने में मदद भी करती है |
प्राकृतिक पदार्थों से निर्मित यह शरीर हवा, पानी व धूप के संयोग से फलती फूलती है | इस संतुलन के गड़बड़ाने पर शरीर मुरझाने लगता है | पौष्टिक तत्वों की कमी शरीर में पनप रहे रोगों आदि का त्वचा पर सीधा प्रभाव पड़ता है | लेकिन यदि हम त्वचा की ठीक तरह देखभाल करें तो परिवर्तन की इस गति को धीमा किया जा सकता है |

सामान्य त्वचा Normal Skin Tips

सामान्य त्वचा सबसे अच्छी मानी जाती है | त्वचा की सुरक्षा और कमनीयता बरकरार रखने के लिए नहाने से पहले त्वचा पर गाजर का रस या पुदीने की पत्तियों का रस लगाएं | 10 मिनट बाद धो दें | इस से त्वचा की कांति लंबे समय तक बनी रहेगी |

रुखी त्वचा Dry Skin Homemade Remedy For Clear Skin

रुखी त्वचा पपड़ीदार व धारीदार दिखाई देती है | इसकी सुरक्षा के लिए सप्ताह में एक बार बादाम के पेस्ट या जई के आटे से त्वचा की सफाई करें | आंखों के आसपास की त्वचा को बचाते हुए पेस्ट लगाएं | बाद में पोछकर या धोकर हटा दें | खरबूजे का रस चेहरे पर लगाएं, फिर 10-15 मिनट बाद ठंडे पानी से धो दें | इससे त्वचा की रंगत निखर उठती है | भोजन में दूध व दही की मात्रा बढ़ाएं |

तैलीय त्वचा Oily Skin Homemade Remedy For Clear Spotless Skin

यह अधिक चमकती है | ऐसी त्वचा पर तिल ज्यादा होते हैं | तैलीय त्वचा होने पर दिन में तीन बार चेहरे की सफाई करें | मुलतानी मिट्टी, जई का आटा व बादाम का पेस्ट तैलीय त्वचा की बहुत अच्छी सफाई करते हैं | इन में से किसी एक का प्रयोग करें | खीरे का रस चेहरे पर लगाएं तथा 10-15 मिनट बाद धो दें | इससे त्वचा में ताजगी आ जाती है | इसके अलावा नीबू का रस भी लगाया जा सकता है |
तैलीय त्वचा को साफ करने के लिए मुट्ठी भर गेंदे के फूलों की पंखुड़ियों को ले कर एक कप खौलते पानी में डालकर डुबो दें | 8-10 मिनट बाद जब पानी कुछ कम गर्म रह जाए तब पंखुड़ियों को निकालकर पीसकर गूदा बना लें और त्वचा पर अच्छी तरह से लगा कर 6-7 मिनट बाद सूखने पर ठंडे पानी से धो लें |

मिश्रित त्वचा Mixed Type Skin Homemade Remedy

इसकी सफाई कुछ कठिन है क्योंकि इसमें कुछ जगह रूखापन तो कुछ भागों पर तैलीयता रहती है | ऐसी त्वचा में नाक और ठुड्डी प्रायः तैलीय जबकि गाल, कनपटी और माथा रुखा रहता है | आंख के समीप की त्वचा भी रुखी रहती है | चिपचिपे क्षेत्रों पर फेस पैक लगाकर 15 मिनट बाद साफ करें |

रोग जानकारी के साधन :

रोग जानकारी के साधन : 

पूर्वोक्त कारणों से उत्पन्न विकारों की पहचान जिन साधनों द्वारा होती है उन्हें लिंग कहते हैं। इसके चार भेद हैं : पूर्वरूप, रूप, संप्राप्ति और उपशय।
पूर्वरूप- किसी रोग के व्यक्त होने के पूर्व शरीर के भीतर हुई अत्यल्प या आरंभिक विकृति के कारण जो लक्षण उत्पन्न होकर किसी रोगविशेष की उत्पत्ति की संभावना प्रकट करते हैं उन्हें पूर्वरूप (प्रोडामेटा) कहते हैं।
रूप (साइंस एंड सिंप्टम्स) - जिन लक्षणों से रोग या विकृति का स्पष्ट परिचय मिलता है उन्हें रूप कहते हैं।
संप्राप्ति (पैथोजेनेसिस) : किस कारण से कौन सा दोष स्वतंत्र रूप में या परतंत्र रूप में, अकेले या दूसरे के साथ, कितने अंश में और कितनी मात्रा में प्रकुपित होकर, किस धातु या किस अंग में, किस-किस स्वरूप का विकार उत्पन्न करता है, इसके निर्धारण को संप्राप्ति कहते हैं। चिकित्सा में इसी की महत्वपूर्ण उपयोगिता है। वस्तुत: इन परिवर्तनों से ही ज्वरादि रूप में रोग उत्पन्न होते हैं, अत: इन्हें ही वास्तव में रोग भी कहा जा सकता है और इन्हीं परिवर्तनों को ध्यान में रखकर की गई चिकित्सा भी सफल होती है।
उपशय और अनुपशय (थेराप्यूटिक टेस्ट) - जब अल्पता या संकीर्णता आदि के कारण रोगों के वास्तविक कारणों या स्वरूपों का निर्णय करने में संदेह होता है, तब उस संदेह के निराकरण के लिए संभावित दोषों या विकारों में से किसी एक के विकार से उपयुक्त आहार-विहार और औषध का प्रयोग करने पर जिससे लाभ होता है उसे उपचय के विवेचन में आयुर्वेदाचार्यो ने छह प्रकार से आहार-विहार और औषध के प्रयोगों का सूत्र बतलाते हुए उपशय के १८ भेदों का वर्णन किया है। ये सूत्र इतने महत्व के हैं कि इनमें से एक-एक के आधार पर एक-एक चिकित्सापद्धति का उदय हो गया है; जैसे,
  • (१) हेतु के विपरीत आहार विहार या औषध का प्रयोग करना।
  • (२) व्याधि, वेदना या लक्षणों के विपरीत आहार विहार या औषध का प्रयोग करना। स्वयं ऐलोपैथी की स्थापना इसी पद्धति पर हुई थी (ऐलोज़ (= विपरीत) + अपैथोज़ (= वेदना) = ऐलोपैथी)।
  • (३) हेतु और व्याधि, दोनों के विपरीत आहार विहार और औषध का प्रयोग करना।
  • (४) हेतुविपरीतार्थकारी, अर्थात्‌ रोग के कारण के समान होते हुए भी उस कारण के विपरीत कार्य करनेवाले आहार आदि का प्रयोग; जैसे, आग से जलने पर सेंकने या गरम वस्तुओं का लेप करने से उस स्थान पर रक्तसंचार बढ़कर दोषों का स्थानांतरण होता है तथा रक्त का जमना रुकने, पाक के रुकने पर शांति मिलती है।
  • (५) व्याधिविपरीतार्थकारी, अर्थात्‌ रोग या वेदना को बढ़ानेवाला प्रतीत होते हुए भी व्याधि के विपरीत कार्य करनेवाले आहार आदि का प्रयोग (होमियापैथी से तुलना करें : होमियो (समान) अपैथोज़ (वेदना = होमियोपैथी)।
  • (६) उभयविरीतार्थकारी, अर्थात्‌ कारण और वेदना दोनों के समान प्रतीत होते हुए भी दोनों के विपरीत कार्य करनेवाले आहार विहार और औषध का प्रयोग।
उपशय और अनुपशय से भी रोग की पहचान में सहायता मिलती है। अत: इनको भी प्राचीनों ने "लिंग' में ही गिना है। हेतु और लिंग के द्वारा रोग का ज्ञान प्राप्त करने पर ही उसकी उचित और सफल चिकित्सा (औषध) संभव है। हेतु और लिंगों से रोग की परीक्षा होती है, किंतु इनके समुचित ज्ञान के लिए रोगी की परीक्षा करनी चाहिए।

Foods that increase Brainpower

 स्मरण शक्ति बढ़ाने वाले प्रमुख भोज्य


 पदार्थमानव मस्तिष्क एक शक्तिशाली मशीन की तरह होता है जो सोच, इन्द्रियों और गति को नियंत्रित करता है। इसमें बहुत बड़ी मात्रा में तस्वीरें, शब्द और घटनाएँ संगृहित होती हैं, इसके द्वारा ही शरीर में श्वसन, रक्तसंचार, हार्मोन नियंत्रण जैसे कार्य संचालित कराये जाते हैं। शरीर सो जाता है लेकिन मस्तिस्क तब भी कार्य करता है।

हम जानते हैं कि भोजन का प्रभाव शरीर पर पड़ता है पर यह समझने की जरुरत है कि हम जो खाते हैं उसका असर मस्तिष्क की क्रियाशीलता, याददाश्त और तार्किक क्षमता पर भी पड़ता है। मस्तिष्क को ऐसे भोजन की ज़रूरत होती है जो इसकी क्रियाशीलता को बढ़ाए।
हम सभी आमतौर पर अन्य कार्यों के साथ अपने मस्तिष्क को भी सारा दिन काम पर लगाए रखते हैं। सिर्फ मजदूरों जैसे लोग ही शुद्ध रूप से शारीरिक कार्य करते हैं, पर हम सभी तृतीय श्रेणी से सम्बन्ध रखते हैं, जहां मस्तिष्क का कार्य ही मुख्य होता है। आजकल कंप्यूटर (computer) हमारी जिन्दगीका एक अहम् भाग बन गया है जिसकी मदद से हम ऑनलाइन या ऑफलाइन (online or offline) कार्य कर सकते हैं।हमारे मस्तिष्क को कई चरणों में सुधार की आवश्यकता होती है। अतः ऐसे तरीके भी निश्चित रूप से हैं, जिनकी मदद से हमारे मस्तिष्क की क्षमता काफी ज़्यादा बढ़ जाती है। हम ऐसे ही नुस्खों पर आज विचार विमर्श करने जा रहे हैं जिनकी मदद से हमारे मस्तिष्क की क्षमता का विकास होता है। आपके मस्तिष्क को भी अपनी स्मृति के विकास और सिधार के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

ऑयली मछली खायें (Take oily fish)

मछली में ओमेगा-3 फैट होता है जो मस्तिस्क के लिये उत्तम माना जाता है साथ ही इसमें मस्तिष्क के लिए आवश्यक तत्व ई पी ऐ और डी एच ऐ पाए जाते हैं जो इसकी क्रियाशीलता को बढ़ाते हैं।

स्मरण शक्ति बढ़ाने के उपाय – साबुत अनाज लें (Opt for wholegrains)

शरीर के दूसरे अंगो की तरह मस्तिष्क को भी कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत होती है और उसे वह मिलती है विशिष्ट पैटर्न के ग्लूकोज से जो रक्त द्वारा इसमें पहुँचाया जाता है। साबुत अनाज मस्तिष्क की इस ज़रूरत को पूरा करता है।

स्मरण शक्ति बढ़ाने वाला खाना – टमाटर खायें (Eat tomatoes)

टमाटर में शक्तिशाली एंटीओक्सिडेंट लायकोपेन पाया जाता है जो अल्झाइमर जैसे रोग से बचाता है।

माइग्रेन से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपाय

माइग्रेन से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic Tips For Migraine Pain)

1.संतुलित व पौष्टिक आहार का प्रयोग करें।
2.भोजन का समय तय कर समयनुसार भोजन करें।
3.किसी भी बात का तनाव न ले और सकारात्मक विचार बनाए रखें।
4.अपनी पूरी नींद ले।स होने पर विश्राम करें।माइग्रेन से बचने के उपाय (Ayurvedic tips for Migraine Pain)
5.थकान महसू
6.हल्के हाथ से सर में मालिश करें।
7.खुद को व्यस्त रखें और ऐसे काम जिससे आपका मन संतुष्ट हो।
8.किसी भी तरह के विवाद और तनाव से बचें। किसी से घमंड न करें।

बीमारी होने पर आहार का रखें ध्यान (Diet in Migraine)
माइग्रेन की शिकायत होने पर रोगी को अपने खाने पीने का विशेष ख्याल रखना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार माइग्रेन के रोगी को अपने खाने में निम्नलिखित चीजों का प्रयोग करना चाहिए-
1.संतुलित व पौष्टिक आहार ही खाएं।
2.देशी घी (विशेष तौर पर गाय के घीसे बना पदार्थ जैसे मालपुआजलेबीहलुआ आदि का आधिक प्रयोग करें।
3.देशी घी में चीनी मिलाकर खाने से माइग्रेन में आराम मिलता है।
4.माइग्रेन होने पर ताजे फल व हरी सब्जियों का बहुत ज्यादा प्रयोग करें।
5.पौष्टिक तत्वों के लिए दूधदलिया व पनीर का बहुत अधिक प्रयोग करें।

Wednesday, 24 May 2017

yoga

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Day Of Yoga)

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Day of Yoga)
योग (Yoga), भारत की एक अध्यात्म प्रक्रिया है, जो शरीर, मन और मस्तिष्क को आपस में जोड़ने (योग (Yoga)) का काम करती है। योग कई घातक बीमारियों (Yoga for Diseases) में लाभकारी सिद्ध हुआ है। इसके नियमित अभ्यास से रक्तचाप (Yoga for Blood Pressure Control), वजन घटाने (Yoga for Weight Lose), थायराइड (Yoga for Thyroid), आंखों की शक्ति (Yoga for Eye Sight) आदि समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व के 177 राष्ट्रों के समर्थन के साथ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Day of Yoga) 21 जून को मनाये जाने का निर्णय लिया। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह (International Day of Yoga Celebration) आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, होम्योपैथी व अन्य की विभिन्न गतिविधियों का समायोजन करने का मुख्य माध्यम है।

योग की लोकप्रियता प्राचीन समय से लेकर आज के आधुनिक समय में भी कायम है। इसकी सहजता और सरलता को देखते हुए इसके नियमित रूप अपनाने वालों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

किडनी में पथरी के लिए घरेलू उपचार

किडनी में पथरी के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies For Kidney Stone)किडनी में स्टोन यानि पत्थर होना

 (जिसे पथरी भी कहते हैं) अब एक कॉमन बीमारी हो गई है। पेशाब में यूरिक एसिड, फॉस्फोरस, कैल्शियम और ऑक्जेलिक एसिड जैसे केमिकल के बढ़ने की वजह से किडनी में पत्थर या पथरी होता है। विटामिन डी के अत्यधिक सेवन, शरीर में मिनरल्स की मात्रा में असंतुलन, डिहाइड्रेशन या फिर असंतुलित डायट से भी किडनी में स्टोन होता है।
पेशाब अगर काफी गाढ़ा हो रहा हो तो यह किडनी में पत्थर होने का लक्षण है। पथरी होने पर काफी असहनीय दर्द होता है। पेशाब करने में भी काफी दर्द होता है। वैसे तो पथरी होने पर सर्जरी की जाती है, मगर इसके कई घरेलू इलाज भी हैं।
किडनी में पथरी के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies for Kidney Stone)
कुर्थी दाल (Kurthi Daal)
पथरी को गलाने में कुर्थी दाल काफी असरदार होता है। कुर्थी दाल को पका कर भी खा सकते हैं, लेकिन कुर्थी दाल का पानी पीना सबसे कारगर होता है।
नारियल पानी (Coconut Water)
किडनी के सेहत के लिए नारियल काफी फायदेमंद है। नारियल पानी पथरी को गलाता है। पथरी होने पर नारियल पानी सुबह पीना चाहिए।
हरी इलाइची (Green Cardamom)
हरी इलाइची के भी बड़े औषधीय गुण हैं। इलाइची का सेवन किडनी के बीमारी में काफी फायदेमंद होता है। हरी इलायची, खरबूजे के बीज की गरी और मिश्री को पानी में मिलाकर पीने से किडनी की पथरी निकल जाती है।
जामुन (Blackberry)
जामुन डाइबिटीज समेत कई बीमारियों में रामबाण का काम करता है। पथरी के इलाज में भी यह काफी असरदार है।
आंवला (Amla)
आंवला सिर्फ केश कांति बढ़ाने में ही काम नहीं आता है। इसके कई औषधीय गुण भी हैं। किडनी के पथरी को गलाने में यह काफी कारगर है। आंवले का चूर्ण मूली के साथ खाने से पथरी गल जाती है।
जीरा (Cumin seeds)
जीरे की तासीर सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। हर भारतीय के घर में मसाले के रुप में उपयोग किए जाने वाले जीरे के काफी औषधीय गुण हैं। जीरा को चीनी के साथ पीसकर ठंडे पानी के साथ पीने से किडनी के पथरी गलते हैं।
सहजन (Moringa Oleifera)
सहजन ही एकमात्र ऐसी सब्जी है जिसमें प्रचुर मात्रा में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं। चिकनपॉक्स, मिजल्स समेत कई तरह की वाइरल बीमारियों से बचाने का काम करती है सहजन। इसके सेवन से किडनी की पथरी भी गलती है।
और भी हैं घरेलू इलाज (Some more home remedies)
  • मिश्री, सौंफ, धनिया को रात में पानी में भींगने के लिए छोड़ दीजिए। सुबह पानी को छानकर सौंफ और धनिया को पीस कर घोल बना लीजिए और फिर इस घोल को पी‍ लीजिए। पथरी गल जाएगी।
  • तुलसी के बीज को शक्कर व दूध के साथ लेने से पथरी गल जाती है।
  • जीरे को मिश्री या शहद के साथ लेने से पथरी गल कर पेशाब के साथ निकल जाती है.
  • बेल का शर्बत या बेल खाने से भी किडनी की पथरी गलती है।

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कब्ज का होमियोपैथिक इलाज

कब्ज का होमियोपैथिक इलाज (Homoeopathic Treatment Of Constipation)


कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है, मल कड़ा हो जाता है, उसकी आवृति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है। सामान्य आवृति और अमाशय की गति व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है। एक सप्ताह में 3 से 12 बार मल निष्कासन की प्रक्रिया सामान्य मानी जाती है।
कब्ज का होमियोपैथिक इलाज:-
होमियोपैथी  चिकित्सा की सबसे लोकप्रिय समग्र प्रणालियों (Holistic Pathy) में से एक है
होमियोपैथी (Homoeopathy)में इलाज के लिए दवाओं का चयन व्यक्तिगत लक्षणों पर आधारित होता है।
यही एक तरीका है जिसके माधयम से रोगी के सब विकारों को दूर कर सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
होमियोपैथी का उद्देश्य कब्ज (Constipation) करने वाले कारणों का सर्वमूल नाश करना है न की केवल कब्ज (Constipation) का ।
जहां तक चिकित्सा सम्बन्धी उपाय की बात है तो होमियोपैथी में कब्ज (Constipation) के लिए अनेक होमियोपैथिक दवाइयां (Homeopathic Drugs)उपलब्ध हैं।
व्यतिगत इलाज़ के लिए एक योग्य होम्योपैथिक (Qualified Homeopathic) डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
निम्नलिखित होम्योपैथिक दवाइयां कब्ज़ (Constipation) के उपचार में काफी लाभकारी होती है:
  • गरिकस ( Agaricus)
  • ऐथूसा (Aethusa)
  • अलुमन (Alumen)
  • एलुमिना (Alumina) 
  • ब्रयोनिआ अलबा (Bryonia alba) 
  • एलो सोकोट्रिना (Aloe socotrina)
  • ऐन्टिम क्रूड (Antim crude)
  • असफ़ोइतिदा (Asafoitida) 
  • बाप्टेसिआ (Baptesia) 
  • कालकरिअ कार्ब (Calcaria carb) 
  • चाइना (China) 
  • कोलिन्सोनिआ (Collinsonia)  

Ayurvedic Tips For Glowing Skin

ग्लोइंग स्किन के आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic Tips For (Glowing Skin)

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, तेल और औषधियों के उपचार से त्वचा को मिली सुंदरता त्वचा को लंबे समय तक जवां और सेहतमंद बनाए रखती है। यह त्वचा में कुदरती सुंदरता लाती है और त्वचा को नुकसानदेह रसायनों के प्रभाव से मुक्त रखती है।
आयुर्वेद में ऐसे कई अदभुत जड़ी-बूटी और औषधियां हैं जिसके इस्तेमाल से त्वचा के कील-मुहांसे, दाग-धब्बे, झुर्रियां-झाइयां, बढ़ती उम्र के निशान, आंखों के नीचे आए काले घेरे समेत सभी तरह के चर्म रोगों को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है। सुश्रुताचार्य के अनुसार आयुर्वेद में त्वचा के सात स्तर होते हैं। ये स्तर जब शरीर के असंतुलित दोष से प्रभावित होते हैं तो त्वचा पर कई तरह की बीमारियों का जन्म होता है।
अवभासिनी- यह त्वचा की सबसे पहली और ऊपरी परत है, जो सब वर्णों को प्रकट करती है। जब इस स्तर में कोई दोष आता है तो त्वचा पर कील-मुहांसे निकल आते हैं।
लोहिता- यह त्वचा की दूसरी परत है। तिल, काले घेरे, काले धब्बे आदि लोहिता परत में दोष के कारण ही निकलते हैं।
श्वेता- त्वचा की इस तीसरी परत में दोष के कारण चर्म रोग एक्जिमा और एलर्जिक रैशेज त्वचा पर होते हैं।
ताम्र- यह त्वचा की चौथी परत है। इसमें दोष होने से कुष्ठ की बीमारी होती है।
वेदनी- त्वचा के इस पांचवे स्तर में दोष होने से हर्पिस और रेड स्पॉट की बीमारी होती है।
रोहिणी- यह त्वचा का छठी परत है। इस स्तर में रक्त वाहिनियां, नाड़ी सूत्र और धातु होते हैं। इस स्तर में दोष होने से ग्लैंड टयूमर और हाथीपांव की बीमारियां होती है।
मांसधरा- यह त्वचा की सातवी परत है। इसमें रोम कूप, तेल ग्रंथि और पसीना ग्रंथि होती है। इस परत में दोष होने से भगंदर (Fistula) और अर्श (Abscess) आदि बीमारियां होती है।
ग्लोइंग स्किन के लिए आयुर्वेद के नुस्खे
उबटन
उबटन पुराने जमाने से ही आयुर्वेद का सबसे कारगर नुस्खा है। इसे नियमित रूप से लगाया जाए तो त्वचा की चमक में अविश्वसनीय बदलाव आ सकते हैं। हल्दी, चंदन और बेसन का उबटन सबसे लोकप्रिय है।
हल्दी एक रक्त शोधक है और त्वचा में कुदरती चमक लाती है। यह त्वचा को जीवाणु के संक्रमण से भी बचाती है। त्वचा के रोगों के लिए एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है इससे चेहरे की झाइयां, मुहांसे और त्वचा की सूजन भी कम होती है।
चंदन चमकती त्वचा के लिए सबसे असरदार आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है। इसका लेप मुहांसे के उपचार में बहुत असरदार है। स्किन रैशेज और लाल चकते को भी खत्म करता है। स्किन को मॉइश्चराइज करने का भी गुण है इसमें। चंदन का लेप शरीर और त्वचा को ठंडक पहुंचाता है। सूर्य की तेज धूप और पराबैंगनी किरणों से त्वचा पर हुए सनटैन को भी कम करता है।
उबटन बनाने की विधि- एक चम्मच हल्दी पाउडर में एक चम्मच चंदन पाउडर मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे सोते समय चेहरे पर लगाएं और सुबह चेहरा धो लें।
दूसरा विकल्प- एक चम्मच बादाम पाउडर, एक चम्मच काजू पाउडर, एक चम्मच पिस्ता, एक चम्मच मलाई, एक चम्मच गुलाब जल, एक चौथाई कप लाल मसूर और एक चम्मच चने का आटा लें। इस सारी सामग्री को पीसकर उबटन बना लें और इस उबटन को चेहरे पर लगाएं। सूखने के बाद पानी से धो लें।
दूध (Milk)
दूध सिर्फ शरीर के लिए ही सेहतमंद नहीं है बल्कि त्वचा की सेहत के लिए भी लाभकारी है। दूध त्वचा को निखारने का काम भी करता है। यह क्लींजिंग एजेंट का भी काम करता है। कॉटन में दूध भिगो कर चेहरे की सफाई करें काफी फायदा होगा।
कच्चे नारियल का दूध- कच्चे नारियल के दूध से त्वचा को पोषण मिलता है। इसे लगाने से त्वचा में कुदरती निखार आता है। इसे सीधे चेहरे पर लगा लें और बीस मिनट के बाद धो लें।
केसर (Saffron)
केसर चेहरे में गुलाबी निखार लाता है। त्वचा पर केसर का लेप लगाने से कील- मुहांसे, काले धब्बे सभी खत्म होते हैं। केसर का इस्तेमाल ढलती उम्र की महिलाएं करे तो त्वचा पर एजिंग के निशान ही नहीं खत्म होते हैं, बल्कि त्वचा में गोरापन भी आता है।
इस्तेमाल की विधि- पानी में केसर के रेशे डालें। जब पानी सुनहरा रंग का हो जाए तो उसमें जैतून का तेल और कच्चा दूध मिला लें। रुई के फाहे से इस लेप को चेहरे पर लगाएं। बीस मिनट बाद ठंडे पानी से चेहरे को धो लें। यह आपकी त्वचा में सोने जैसी चमक लाएगा।
घृतकुमारी (Aloe Vera)
घृतकुमारी यानि एलोवेरा सौंदर्य उत्पादों में सबसे अधिक लोकप्रिय है। इससे न सिर्फ त्वचा को पोषण मिलता है बल्कि त्वचा को नमी भी पहुंचाती है। घृतकुमारी त्वचा को जीवाणु और रोगाणु के संक्रमण से भी बचाती है। त्वचा की देखभाल में उसे सबसे ज्यादा आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के रुप में प्रयोग किया जाता है। कील-मुहांसे, कटने-जलने, संक्रमण, एलर्जी, चकते के इलाज के अलावा इसे त्वचा में कुदरती निखार के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
इस्तेमाल की विधि- एलोवेरा के पत्तियों से जेल निकाल कर त्वचा पर लगाएं। इसे फलों के पल्प के साथ मिला दें तो एक बेहतर फेस पैक भी तैयार हो सकता है।
गाजर, ककड़ी और श्रीफल के बीज
इन बीजों के लेप लगाने से त्वचा को पोषण मिलती है। इसे लगाने से त्वचा में खुजली भी शांत होती है। सूखी और बेजान त्वचा को मॉइश्चराइज करने में भी यह काफी असरदार है।
तुलसी
तुलसी के पत्तों का सेवन कई तरह की बीमारियों के लिए रामबाण तो है ही, साथ ही यह त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद है। तुलसी एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है। त्वचा पर इसका लेप लगाने से कटे-फटे के निशान खत्म होते हैं। यह त्वचा को ताजगी देती है।
योगा से आती है चेहरे पर कांति
रोजाना 15 मिनट प्राणायाम और कपालभाति त्वचा के लिए काफी फायदेमंद है। इसे करने से त्वचा में आंतरिक आभा आती है और त्वचा हमेशा जवां दिखती है।
इन चीजों से बचें
ज्यादा वसा वाला खाना
दिन में सोना
जंक फूड
गुस्सा और तनाव
ज्यादा ठंड और गर्म वातावरण में रहना

Tuesday, 23 May 2017

वजन घटाएं

वजन घटाने के लिकम सरेट्रो रनिंग अपनाएं, फिट बन जाएंए आगे भागने की जगह पीछे उल्टे पांव भागें-मय में वजन घटाएं


मांशपेशियों को मज़बूत बनाएं, जोड़ों की दर्द से छुटकारा पाएं
जापान और यूरोप में बैकवर्ड रनिंग काफी प्रचलित है और इसे ‘रेट्रो रनिंग’ भी कहते हैं। जापान में लोगों का मानना है कि ऐसा करने से पुरानी जॉगिंग की अपेक्षा तेजी से फैट वर्न होता है। आपके घुटनों पर कम दबाव पड़ता है और इससे ज्वाइंट्स पेन की समस्या नहीं होती। रेट्रो रनिंग के दौरान आंखें आगे की तरफ होने के कारण हम पीछे नहीं देख पाते हैं और इसलिए हमारी महसूस करने की क्षमता बढ़ जाती है। इसलिए उल्टे पांव चलना या दौड़ना सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है। इससे हम दिमागी और शारीरिक तौर पर फिट रहते हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको उल्टे पांव भागने के अनेक फायदों के बारे में बता रहे हैं।.

ज्यादा कैलोरी बर्न करें


साधारण जॉगिंग या रनिंग में 1000 कदम से हम जितनी कैलोरी घटाते हैं उससे कहीं ज्यादा पीछे की ओर मात्र 100 कदम दौड़ने से घटाते हैं।
मांसपेशियां मज़बूत होंगी

आगे की ओर दौड़ने से हमारे घुटनों पर अधिक जोड़ पड़ता है और कई बार हम घुटनों की दर्द से परेशान हो जाते हैं। लेकिन पीछे की ओर भागने से हमारी पिंडली और जांघों की मांसपेशियों में मज़बूती आती है।

चोट लगी हो तो भी भागें


अमूमन हम जब भी बीमार होते हैं या किसी तरह के चोट से पीड़ित रहते हैं तो रनिंग और जॉगिंग सब बंद करना पड़ता है। लेकिन आपको ये जानकर ताज्जुब होगा कि बैकपेन या ज्वाइंट्स पेन में भी आप बैकवर्ड रनिंग बरकरार रख सकते हैं।

शारीरिक दशा ठीक होगी



अक्सर लोग रनिंग और जॉगिंग करते समय थकने के बाद आगे की ओर झुककर भागने लगते हैं औऱ इससे हमारी पीठ और कमर पर बुरा असर पड़ता है। पर पीछे की ओर दौड़ते समय हमारे शरीर की दशा बिल्कुल सीधी होती है जिससे पीठ और कमर में दर्द की समस्या नहीं होती।

फायदों के साथ हो सकते हैं नुकसान


इन सब फायदों के साथ हम आपको बैकवर्ड रनिंग के दौरान होने वाले नुकसान के बारे में भी बता रहे हैं ताकि जाने-अनजाने में आप अपनी सेहत को नुकसान न पहुंचा लें। सबसे मुख्य कारण है कि पीछे की ओर दौड़ने से आप अपने रास्ते में आने वाले खतरों से अनजान होते हैं इसलिए आपको ज़रूरत से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। आप अपनी गर्दन को घुमाकर पीछे भागने में मदद ले सकते हैं पर लंबे समय तक ऐसा करने से आपको गर्दन में दर्द की शिकायत हो सकती है। साथ ही पीछे की ओऱ भागने के क्रम में पैर लड़खड़ाने, किसी वस्तु से टकराने या गड्ढे में गिरने का डर होता है।

इन खतरों से बचने के लिए दौड़ने की जगह पहले पीछे की ओर चलने का अभ्यास करें। अपने घुटनों को ज्यादा उपर उठाने की कोशिश न करें औऱ ट्रैक पर ही दौड़े ताकि आप अनजाने खतरों से बेफिक्र होकर दौड़ सकें। हमने आपको बैकवर्ड रनिंग के फायदे-नुकसान दोनों बता दिए अब निर्णय आपके हाथ में है कि आप किसे अपनाते हैं।.

गुलाब जल के फायदे

गुलाब जल के फायदे


गुलाब जल आपकी स्किन का पीएच बैलेंस बनाए रखने में कारगर है। यह त्वचा पर ऑयल आने से भी रोकता है। गुलाब जल में एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं, जो लाल स्किन, मुहांसे और एक्ज़िमा को ठीक करने में मददगार करता है। यह स्किन पर क्लींज़र की तरह काम करता है, जो गंदगी और ऑयल को साफ करते हुए बंद पोर्स को खोलता है।

गुलाब जल त्वचा को हाइड्रेट, रिवायटलाइज़ (नई जिंदगी देना) और मॉइश्चराइज़ करते हुए तरोताज़ा महसूस कराता है। इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण, स्किन पर लगने वाली चोट के निशान को भी साफ करने में मदद करता है। गुलाब जल स्किन सेल्स को मज़बूत कर स्किन टिशू को दोबारा बनने में मदद करता है।

कहते हैं कि गुलाब जल की खुशबू मूड को अच्छा करती है, जिससे आप आरामदायक महसूस करते हैं। गुलाब जल में मिलने वाले मॉइश्चराइज़िंग गुण आपके बालों की क्वॉलिटी को बेहतर करते हैं। यह सिर से डैंड्रफ को ख़त्म करते हुए स्कैल्प से इंफ्लेमेशन को दूर करता है। गुलाब जल बालों के लिए एक प्राकृतिक कंडिशनर हैं, जो बालों के विकास में मदद करता है।1

एक लंबे दिन को बिता लेने के बाद अगर रोत में आप गुलाब जल अपने तकिए पर डालकर सोते हैं, तो सुबह तरोताज़ा महसूस करते हैं। यह एजिंग और रिंक्लस को दूर करने में भी मददगार है। इस तरह इस्तेमाल करें गुलाब जल

गुलाब जल को इस्तेमाल करने का सबसे अच्छा वक़्त रात में है। यह एक ऐसा समय होता है, जब आप अपने फेस पर मौजूद पूरे दिन की गंदगी और ऑयल को निकालते हुए फ्रेश महसूस कर सकते हैं। गुलाब जल को आप अपने फेस पर छिड़कर इस्तेमाल में ला सकते हैं। इसके अलावा अगर आप चेहरे पर चमक लाना चाहते हैं, तो मेककप के ऊपर इसे छिड़कें।/

चाणक्य के साथ क्या हुआ

आखिर चाणक्य के साथ क्या हुआ था, कारण क्या वे स्वयं थे याआचार्य चाणक्य की सीख से चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य वंश को एक नया रूप दिया, इस वंश को दुनिया के शक्तिशाली वंश के रूप में प्रकट किया और खुद को एक महान राजा की छवि प्रदान की।

आचार्य चाणक्य के जीवन से जुड़ी कई बातें उनका जन्म, उनके द्वारा अपने जीवन में किए गए महान कार्य जैसे कि अर्थशास्त्र जैसे महान ग्रंथ का लेखन करना, जिसमें उन्होंने जीवन के विभिन्न पहलुओं को हिम्मत से पार कर सकने का ज्ञान प्रदान किया है। यह कोई सामान्य मौत थी या बनी बनाई साजिश? क्योंकि जाहिर है कि जिस स्तर पर आचार्य चाणक्य मौजूद थे, वहीं उनके कई दुश्मन भी मौजूद थे। उनकी मृत्यु को लेकर इतिहास के पन्नों में एक नहीं अनेक कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन कौन सी सच है यह कोई नहीं जानता।
आचार्य चाणक्य की मौत को लेकर इतिहास के पन्नों में से दो कहानियां खोजी गई हैं, लेकिन कौन सी सही है इस सार तक कोई नहीं पहुंच पाया है। महान शोधकर्ता भी आज तक यह जान नहीं पाए कि आखिर आचार्य चाणक्य के साथ क्या हुआ था? उनकी मृत्यु का कारण क्या वे स्वयं थे या कोई और?
जो दो कहानियां प्रचलित हैं उनमें से पहली कहानी के अनुसार शायद आचार्य चाणक्य ने तब तक अन्न और जल का त्याग किया था जब तक मृत्यु नहीं आई। परंतु दूसरे कहानी के अनुसार वे किसी दुश्मन के षड्यंत्र का शिकार हुए थे, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई।
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार एक आम से बालक चंद्रगुप्त मौर्य को आचार्य चाणक्य की सह ने सम्राट बनाया। मौर्य वंश का राजा बनाया, एक बड़ा साम्राज्य उसके हाथों में सौंपा और उसका नाम इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों से लिखवा दिया।
आचार्य चाणक्य की सीख से चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य वंश को एक नया रूप दिया, इस वंश को दुनिया के शक्तिशाली वंश के रूप में प्रकट किया और खुद को एक महान राजा की छवि प्रदान की। उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र राजा बिंदुसार ने भी पिता चंद्रगुप्त मौर्य की तरह आचार्य के सिखाए कदमों पर चलना सीखा। चंद्रगुप्त मौर्य की तरह ही आचार्य ने बिंदुसार को भी एक सफल राजा होने का पाठ पढ़ाया।
सब कुछ सही चल रहा था, आचार्य के अनुशासन तले राजा बिंदुसार अपनी प्रजा को पूर्ण रूप से सुखी रखने में सफल थे लेकिन दूसरी ओर कोई था जिसे आचार्य की राजा के प्रति इतनी करीबी पसंद नहीं थी। वह था सुबंधु, राजा बिंदुसार का मंत्री जो कुछ भी करके आचार्य चाणक्य को राजा से दूर कर देना चाहता था।
इसके लिए उसने कई षड्यंत्र रचे, उसे राजा को आचार्य चाणक्य के विरुद्ध करने के विभिन्न प्रयास किए जिसमें से एक था राजा के मन में यह गलतफ़हमी उत्पन्न कराना कि उनकी माता की मृत्यु का कारण कोई और नहीं वरन् स्वयं आचार्य चाणक्य ही हैं। ऐसा करने में सुबंधु कुछ मायनों में सफल भी हुए, धीरे-धीरे राजा और आचार्य में दूरियां बनने लगीं।
यह दूरियां इतनी बढ़ गईं कि आचार्य सम्राट बिंदुसार को कुछ भी समझा सकने में असमर्थ थे। अंतत: उन्होंने महल छोड़कर जाने का फैसला कर लिया और एक दिन वे चुपचाप महल से निकल गए। उनके जाने के बाद जिस दाई ने राजा बिंदुसार की माता जी का ख्याल रखा था उन्होंने उनकी मृत्यु का राज सबको बताया।
उस दाई के अनुसार जब सम्राट चंद्रगुप्त को आचार्य एक अच्छे राजा होने की तालीम दे रहे थे तब वे सम्राट के खाने में रोज़ाना थोड़ा थोड़ा विष मिलाते थे ताकि वे विष को ग्रहण करने के आदी हो जाएं और यदि कभी शत्रु उन्हें विष का सेवन कराकर मारने की कोशिश भी कर तो उसका राजा पर कोई असर ना हो।
लेकिन एक दिन विष मिलाया हुआ खाना राजा की पत्नी ने ग्रहण कर लिया जो उस समय गर्भवती थीं। विष से पूरित खाना खाते ही उनकी तबियत बिगड़ने लगी, जब आचार्य को इस बात का पता चला तो उन्होंने तुरंत रानी के गर्भ को काटकर उसमें से शिशु को बाहर निकाला और राजा के वंश की रक्षा की। यह शिशु आगे चलकर राजा बिंदुसार के रूप में विख्यात हुए।,
आचार्य चाणक्य ने ऐसा करके मौर्य साम्राज्य के वंश को खत्म होने से बचाया था लेकिन बाद में किसी ने यह गलत अफवाह फैला दी कि रानी की मृत्यु आचार्य की वजह से हुई। अंतत: जब राजा बिंदुसार को दाई से यह सत्य पता चला तो उन्होंने आचार्य के सिर पर लगा दाग हटाने के लिए उन्हें महल में वापस लौटने को कहा लेकिन आचार्य ने इनकार कर दिया।

उन्होंने ताउम्र उपवास करने की ठान ली और अंत में प्राण त्याग दिए। परंतु एक दूसरी कहानी के अनुसार राजा के मंत्री सुबंधु ने आचार्य को जिंदा जलाने की कोशिश की थी, जिसमें वे सफल भी हुए। आचार्य चाणक्य ने जीवन के हर क्षेत्र में सफल होने के सूत्र बताए हैं।/

बेल के शरबत के लाभ


बेल के शरबत के  लाभ.. 

गर्मियों के आते ही आपको हर गली-नुक्‍कड़, चौराहें पर बेल के शरबत की रेड़ि‍यां देखने को मिल जाती है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि गर्मियों के थपेड़े से जो राहत यह प्राकृतिक पेय आपको देता है उसकी बोतल से भरे नकली मीठे पानी से भला क्‍या तुलना। सुबह आफिस निकलते समय अगर बेल के शरबत का एक गिलास पीने को मिल जाये, तो दिन भर गर्मी और लू से बचे रह सकते हैं। औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण प्राचीन काल से ही लोग इसे पसंद करते आ रहे हैं। 
  • सस्ता, सुपाच्य और औषधीय होने के कारण बेल शरीर के लिए अमृत के समान है। यह कब्ज, गैस, एसिडिटी, अपच समेत पेट की हर बीमारी के करे दूर करने में फायदा करता है।
  • शरीर में सूजन, या गर्मी का ज्यादा लगना या फिर आंखों में जलन और बेचैनी, थकान जैसी समस्याओं को बेल का शरबत दूर करता है।
  • विटामिन सी की कमी से होने वाली स्कर्वी रोग में भी बेल से फायदा मिलता है।
  • ये बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट है। आंख-कान की समस्याओं, बुखार, अर्थराइटिस समेत तमाम बीमारियों में बेल के सेवन से लाभ मिलता है।
  • रोजाना एक गिलास बेल का शरबत पीने से बवासीर की समस्या दूर हो जाती है। नसों को आराम मिलता है;;;

सौंदर्य के लिए केले के फायदे

सौंदर्य  के लिए केले के फायदे।

  

सौंदर्य के लिए केला बहुत ही फायदेमंद होता है.
1] चेहरे की झुर्रियों के लिए केला बहुत ही फायदेमंद होता है.

इसके लिए 1 पका हुआ केला लीजिये और इसे अच्छी तरह मसल लीजिये.
अब इसमें 1 चम्मच शहद और 10 बूंद जैतून के तेल की डालकर अच्छी तरह मिला लीजिए.
केले के इस फेस पैक को चेहरे व गर्दन पर लगाकर 15 मिनट के लिए छोड़ दीजिए और फिर सादे पानी से धो लीजिए.
ऐसा सप्ताह में 2 बार करने से चेहरे की झुर्रियां खत्म हो जाती हैं और चेहरा चमकने लगता है.

2] बालों के कंडीशनर के लिए भी केले का इस्तेमाल किया जाता है.

इसके लिए 1 पके हुए केले को काट लीजिए.
इसमें 1 छोटा चम्मच शहद, 1 बड़ा चम्मच दही और 1 चम्मच दूध डालकर इस मिश्रण को मिक्सी में पीस लीजिये.
पहले हल्के गर्म पानी से बालों को धो लीजिए फिर इस कंडीशनर को बालों में अच्छी तरह लगा कर Shower Cap पहन लीजिये.
1 घंटे इसे लगा रहने दीजिए और फिर पानी से धो लीजिये.
सप्ताह में 1 बार इस कंडीशनर को लगाने से बालों में चमक आ जाती है.


3] केला एक बहुत अच्छे Cleanser का भी काम करता है.

इसके लिए एक पका हुआ केला काट लीजिए.
इसमें 4 छोटे चम्मच नीबू का रस और बीज निकला हुआ 1/2 खीरा काटकर इसे मिक्सी में पीस कर पेस्ट बना लीजिए.
इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर 1/2 घंटे के लिए छोड़ दीजिए और फिर हल्के गर्म पानी से धो लीजिए.
एक दिन छोड़कर एक दिन ऐसा करने से चेहरा साफ और सुंदर दिखने लगता है साथ ही साथ कील – मुहाँसों से भी छुटकारा मिलता है.

4] शुष्क त्वचा के लिए केला एक बहुत बढ़िया औषधि है.

इसके लिए 1 केले को मसल लीजिये.
इसमें 2 चम्मच दूध की मलाई डालकर अच्छी तरह मिला लीजिए.
इस पेस्ट को चेहरे, गर्दन और हाथों पर लगाकर सूखने दीजिए और फिर पानी से धो लीजिए.
रोज़ाना ऐसा करने से शुष्क त्वचा ठीक हो जाती है और सुन्दरता भी बढ़ने लगती है.


5] टूटते बालों के लिए केले का प्रयोग किया जाये तो बाल मजबूत होकर टूटना बंद हो जाते हैं.

यदि बाल जल्दी-जल्दी टूटते हों तो केले के इस प्रयोग से आप अपने बालों को फिर से मजबूती दे सकते हैं.
1 पके हुए केले का गूदा लीजिए, इसमें 1/2 कटोरी नीबू का रस डालकर अच्छी तरह मिला लीजिए.
इसे बालों की जड़ों में लगाकर 1/2 घंटे के लिए छोड़ दीजिए और फिर हल्के गर्म पानी से बाल धो लीजिए.
ऐसा सप्ताह में 2 बार करना चाहिये. इससे बाल टूटना बन्द होकर बाल मजबूत हो जाते हैं.//