Tuesday, 18 July 2017

सौंफ खाने के चमत्कारी लाभ जाने

सौंफ खाने के चमत्कारी  लाभ जाने 

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नमस्कार दोस्तों हेल्थ टिप्स इन हिंदी वेबसाइट में आपका स्वागत है. आज इस पोस्ट में हम लोग बात करेंगे सौंफ खाने के फायदे के बारे में, सौंफ क्यों खाना चाहिए और इसके खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं इसकी पूरी जानकारी हम आपको इस पोस्ट के जरिए आप लोगों को देने वाले हैं, सौंफ के गुणों को जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक पढ़िए और अगर आपको पोस्ट अच्छी लगे तो अपने फेसबुक टाइम लाइन पर अपने दोस्तों के बीच इसको जरूर शेयर करें.

सौंफ खाने के फायदे और इसके गुण – Benefit Of Fennel In Hindi

दोस्तों सौंफ से कौन परिचित नहीं है सौंफ का उपयोग अचार बनाने में या मसाले में अधिक प्रयोग होता है जिससे अचार या मसालों का स्वाद बढ़ जाता है और कुछ सब्जियां या कढी में और सूप में भी सौंफ को दाल जाता है. और हमारे भारत में पान में सौंफ मीठे पान में डालकर जरूर खाई जाती हैं. क्या आपने कभी सोचा है यह साधारण सी दिखने वाली चीज़ कितने चमत्कारी गुणों से भरपूर है और उसको खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं सौंफ का उपयोग कई तरह के व्यंजन बनाने में या फिर मीठी और नमकीन चीजों में उनका स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है. सौंफ की तासीर ठंडी होती है और गर्मी के मौसम में आपके शरीर में ठंडाई को बनाए रखने के लिए आप कभी कभी सौंफ और मिश्री के दाने  जरूर चबा लिया करें.
सौंफ का प्रयोग इत्र (Perfume) बनाने में भी किया जाता है. और इसमें मौजूद गुण आप को तंदुरुस्त रखने में मदद करते हैं. एक बात आपने शायद कभी गौर की हो जब आप किसी होटल या रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं तो वहां रिसेप्शन टेबल पर आपको मिश्री के दाने और सौंफ जरूर से मिलती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसमें भोजन को जल्दी पचाने की शक्ति होती है और इससे खाना जल्दी पक जाता है इसलिए सभी होटलों में यह आपको उनके रिसेप्शन काउंटर पर ज़रूर देखने को मिलती है. सौंफ खाने के फायदे ये भी हैं के भोजन के बाद उसको खाने से खाना भी जल्दी पक जाता है और आपके मुंह से दुर्गंध आना भी बंद हो जाती है.

सौंफ के औषधीय गुण – सौंफ खाने के फायदे

इसके अलावा सौंफ आपकी याददाश्त को तेज करती है और आंखों की रोशनी के लिए भी यह बहुत फायदेमंद साबित होती है, सौंफ खाने से खांसी की बीमारी ठीक हो जाती है, और आपके शरीर में जो कोलेस्ट्रोल का लेवल होता है ये उसको कंट्रोल करने में भी बहुत मदद करती है सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, आयरन, पोटैशियम, जैसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को सेहतमंद रखने में सहायता करते हैं
  • बादाम मीठी सौंफ और मिश्री इन तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस कर किसी कांच के बर्तन में रख लें और रोजाना सुबह शाम दोनो टाइम खाना खाने के बाद एक चम्मच पानी या दूध के साथ इसे देने से आपकी स्मरण शक्ति काफी बढ़ जाती है.
  • जिन महिलाओं को या लड़कियों को मासिक चक्र यानी के पीरियड समय पर ना आता हो तो उन्हें सौंफ और गुड़ इन दोनों को बराबर मिलाकर कुछ दिन लगातार खाने से यह समस्या दूर हो जाती है और उनका पीरियड सही समय पर आना चालू हो जाता है.
  • सौंफ खाने से आपकी आंखों की रोशनी भी बढ़ती है इसका स्वाद बढ़ाने के लिए आप सौंफ के साथ थोड़ा मिश्री के दाने लाकर रख लें और दिन में दो या तीन बार इसका सेवन नियमित रूप से करने की आदत डालें, इससे आपकी आंखों की रोशनी बढ़ती है और जिनको चश्मा लगा हो उनका नंबर कम करने में यह काफी सहायक होती है.
  • सामान्य पेट दर्द में भुनी हुई सौंफ को चबाकर खाने से कुछ ही देर में पेट दर्द में आराम मिल जाता है.
  • अक्सर कुछ लोगों के मुंह से कुछ ज्यादा ही दुर्गंध आती है और ऐसे में अगर हम किसी के पास बैठ कर बात करते हैं तो यह बहुत शर्मनाक हो जाता है मुंह की दुर्गंध से पीछा छुड़ाने के लिए आप नियमित रूप से भोजन के बाद दिया वैसे ही दिन में दो तीन बार सौंफ को चबाना शुरू कर दें कुछ ही दिन में आपकी ये समस्या दूर हो जाएगी.
  • किसी किसी को खट्टी डकारें आने की दिक्कत रहती है ऐसे मैं उन्हें सौंफ और मिश्री को पानी के साथ उबालकर पीने से खट्टी डकारें आने में आराम मिलता है
  • सौंफ आपके शरीर में ब्लड प्यूरीफायर (खून साफ़) का काम भी करती है इससे खून साफ होता है और आपकी त्वचा भी चमकदार बनती है इसीलिए आपके लिए रोजाना सौंफ का सेवन बहुत फायदेमंद साबित होगा और उसे किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता. अभी आप पढ़ रहे थे सौंफ खाने के फायदे और इसके गुणों के बारे में यह पोस्ट आपको कैसी लगी हमें नीचे कमेंट करके बताइए और अगर स्वास्थ सम्बन्धी कोई 
  • सलाह लेना हो या कोई सुझाव देना चाहें तो आप हमें यहाँ लिख सकते हैं और साथ ही हमारा फेसबुक फेनपेज ज़रूर लाईक करें.

Monday, 17 July 2017

पेट के रोग का उपचार

पेट के रोग का उपचार

पेट ही हर बीमारी की जड़ होता है। ज्यादातर रोग पेट की खराबी की वजह से होते हैं। यदि पेट बिगड़ता है तो सारा शरीर गड़बड़ा जाता है। पेट में ही भोजन पचाने वाल जटारग्नि भी होती है। जब यह मंद पड़ती है तब पेट फूलनाए पेट दर्द, अफरा, अर्जीण, पेट में गैस, वायु गोला, खूनी दस्त,अतिसार और पेचिश व मरोड़ होने लगती है। कैस आप इन सभी रोगों को दूध और घी के बताए जाने वाले प्रयोगों से कर सकते हो वैदिक वाटिका आपको बता रही है।
सामान्य पेट का दर्द
पेट में सामान्य दर्द होने का मुख्य कारण है अधिक चटपटी चीजें खाने व पीने से पेट में गैस होने की वजह से, मल के रूकने के कारण और आंतों में खराबी आदि होने की वजह से होता है।
पेट दर्द के मुख्य लक्षण
मल का त्याग न हो पाना
पेट में गुड़गुडाहट होना
अफर होना
खट्टी डकारें आना
पेट का फूलना
पेट में तेज दर्द होना आदि मुख्य लक्षण होते हैं।
पेट के रोग का उपचार
वैदिक उपचार पेट के रोगों से मुक्त होने के लिए

पेट पर हमेशा देसी घी की मालिश करें।
रात को सोते समय में दूध में शहद को मिलाकर सेवन करें।
रात के समय में एक चम्मच इसबगोल की भूसी को दूध में मिलाकर पीना चाहिए।
एक गिलास दूध में लहुसुन की पंद्रह बूंदों को डालकर पीने से वायु गोले यानि पेट की गैस से निजात मिलता है।
हमेशा खाना हल्का ही खाएं।
चटपटी चीजों का सेवन बहुत ही कम कर दें।
अधिक मात्रा में पानी का सेवन करें। पानी पीने से पेट की गंदगी मल के रास्त बाहर चली जाती है जिसकी वजह से पेट को होने वाले रोग भी आसानी ठीक हो जाते हैं।

इन वैदिक उपचारों को करने से आप पेट की समस्त बीमारियों से बच सकते हो। यदि आपका पेट ठीक रहेगा तो आप निरोग रहोगे। इसलिए जरूरी है कि आपका पेट ठीक रहे।

गुड और जीरे के पानी के फायदे

गुड और जीरे के पानी के  फायदे

जीरा और गुड हमारे घरों में होता है। इनका इस्तेमाल हम खाना बनाने के लिए करते है। लेकिन क्या आपको पता है गुड और जीरे का पानी आपको और आपके परिवार को कई गंभीर छोटी-छोटी बीमारियों से बचा सकता है जिसकी वजह से आप लोग परेशान हो जाते हो। वैदिक वाटिका आपको बता रही है किन-किन बीमारियों से बच सकते हो गुड़ और जीरे के पानी से।
कैसे बनता है गुड और जीरे का पानी
बहुत ही आसान तरीके से बना सकते हैं आप इस आयुवेर्दिक पानी को। इसके सबसे पहले आप एक पतीले या बर्तन में दो कप पानी डाल दें और इसमें एक चम्मच गुड का चूरा और एक चम्मच जीरे को मिलाकर इसे अच्छी तरह से उबाल लें। और बाद में इसे किसी कप में डाल दें। अब आप इस पानी को पी सकते हैं।
कब करना है सेवन
इस आयुवेर्दिक पानी को रोज सुबह के खाने से पहले एक कप पीएं।
गुड और जीरे के पानी के फायदे
बदन का दर्द
पीठ का दर्द हो या कमर का दर्द। गुड और जीरे का पानी पीने से आपको इन सभी समस्याओं से निजात मिलता है।
बुखार में
बुखार होने पर जब शरीर गर्म हो जाता है तब आप बीमार इंसान को गुड और जीरे का पानी पिलाएं। इस पानी से सिर दर्द और बुखार में आराम मिलता है।
बचाता है एनीमिया से
शरीर में एनीमिया या खून की कमी को पूरा करने का काम करता है गुड़ और जीरे का बना हुआ पानी। साथ ही यह खून को भी साफ करता है।
शरीर को अंदर से साफ करता है
जीरा और गुड प्राकृतिक गुणों से भरपूर होते हैं जो शरीर के अंदर की गंदगी को साफ करके हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। जिससे कोई भी गंभीर बीमारी शरीर को आसानी से नहीं लग पाती है।
पेट की समस्या
पेट की समस्याओं जैसे कब्ज, गैस, पेट फूलना और पेट दर्द की समस्याओं में यदि आप गुड और जीरे से बना हुआ पानी पीते हैं तो आपको फायदा मिलेगा। साथ ही ये रोग भी धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं।
मासिक धर्म की गड़बड़ी
मासिक धर्म में समस्या होने पर वह अनियमित हो जाते हैं जिससे पेट में दर्द और कई परेशानियां होने लगती है। महिलाओं के लिए जरूरी है कि वे गुड और जीरे का पानी जरूर पीएं।
ये सारी छोटी बीमारियां यदि समय पर ठीक हो जाएं तो आप बड़ी बीमारियों से आसानी से बच सकते हैं। इसलिए आपके लिए जरूरी है गुड और जीरे से बने पानी के फायदों के बारे में।

Sunday, 16 July 2017

बरगद का दूध चमत्कारी औसध

बरगद का  दूध चमत्कारी औसध 


बरगद के दूध का प्रयोग:- बरगद के पेड़ को तो सभी जानते हैं दोस्तों भारत में कई जगह इसको वट वृक्ष कहा जाता है और अंग्रेजी इसे Banyan Tree बोलते हैं इस पेड़ में बढे चमत्कारी गुण मौजूद हैं और इसका पेड़ का तना, उसकी छाल और, पत्ते, और फल यहाँ तक की इसका दूध सब बहुत ही काम के चीज़ें हैं यहाँ इस पोस्ट में हम आपको आज बता रहे हैं के बरगद के दूध का प्रयोग कैसे करें और शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, मरदाना कमज़ोरी, शारीरिक व यौन दुर्बलता को कैसे दूर करें.

बरगद के पेड़ के बारे में जानकारी और इसका महत्व

बरगद के पेड़ का परिचय :- दोस्तों भारत में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो बरगद के पेड़को न जानता हो लगभग सभी ने इसको देखा हुआ है हमारे भारत में इसको वट वृक्ष, और बढ़ के नाम से भी जानते हैं और इस पेड़ को हमारे यहाँ बहुत पवित्र माना गया है। विशेषतौर पर बरगद के पेड़ को पर्व या तीज, त्यौहार पर इसकी पूजा की जाती है।

बरगद के दूध का प्रयोग कैसे करें – How To Use Banyan Milk With Batasha

बरगद के फल, तना और छाल, यहाँ तक के दूध भी बहुत काम आते हैं ये औषधीय गुणों से भरपूर हैं और बरगद के दूध का प्रयोग कैसे कर्रें ये हम इस पोस्ट में आपको बताएँगे. वट वृक्ष का दूध प्रयोग करने से आपकी शारीरिक का यौन दुर्बलता समाप्त होती है व वीर्य के विकार और स्वप्नदोष में भी बहुत फायदा मिलता है और साथ साथ आपकी स्तभ्न शक्ति भी बढ़ जाती है.
जिनको शारीरिक कमज़ोरी है या स्वप्नदोष की शिकायत रहती है और वीर्य पतला हो उन्हें बरगद के दूध का सेवन सुबह खली पेट करना चाहिए बताशे पर ५-६ बूँदें दूध की टपका लें और फिर खा लें इस तरह से आप 5  से 7 बताशे रोज़ खा सकते हैं. इसके प्रयोग से आपके सम्भोग करने की शक्ति भी बढ़ती है बरगद के पेड़ के बहुत फायदे हैं और स्त्री रोगों में भी ये गजब का काम करता है उसके लिए आप निचे पढ़ें.

बरगद के पेड़ का प्रयोग बहुत से रोगों में लाभकारी है

बरगद का पेड़ कसैला , शीतल, मधुर, और पाचन शक्तिवर्धक, भारी, पित्त, कफ (बलगम), व्रणों (जख्मों), धातु (वीर्य) विकार, पेशाब की जलन, योनि विकार, ज्वर (बुखार), वमन (उल्टी), विसर्प (छोटी-छोटी फुंसियों का दल) तथा शारीरिक और यौन दुर्बलता को खत्म करता है। यह दांत के दर्द और स्तन की शिथिलता (स्तनों का ढीलापन), रक्तप्रदर, श्वेत प्रदर (स्त्रियों का रोग), स्वप्नदोष, कमर दर्द, जोड़ों का दर्द, बहुमूत्र (बार-बार पेशाब का आना), अतिसार (दस्त), बेहोशी, योनि दोष, गलित कुष्ठ (कोढ़), घाव, बिवाई (एड़ियों का फटना), सूजन, वीर्य का पतलापन, बवासीर, पेशाब में खून आना आदि रोगों में गुणकारी है.

काम शक्ति बढ़ाने में बरगद के पेड़ का प्रयोग

काम शक्ति बढ़ाने में भी बरगद के पेड़ का प्रयोग ऐसे करें और इसके साथ ही बहुत से रोगों में भी ये लाभकारी है यहाँ पढ़ें कुछ रोगों का इलाज. लगभग 50  ग्राम बरगद की ताज़ी कोपलें (मुलायम पत्तियां) इनको लेकर आप 250 मिलीलीटर पानी में जब तक पकायें जब एक चौथाई पानी बचे इसके बाद  इसे मतलब उस पानी को छानकर आधा किलो दूध में डालकर पकायें. अब इसमें आप लगभग 10 ग्राम ईसबगोल की भूसी और 10 ग्राम शकर मिलाकर पिएं आप देखंगे के सिर्फ 7 दिन तक इसको पीने से आपका वीर्य कितना गाढ़ा हो गया है और आपकी कामशक्ति में जबरजस्त बढ़ोत्तरी हुयी है.

पुदीने के चमत्कारिक फायदे जाने

पुदीने के चमत्कारिक फायदे जाने 

दोस्तों आम तौर पर पुदीने के फायदे सभी यह जानते हैं कि पुदीने से चटनी बनाई जाती है, या यह जलजीरा बनाने में इस्तेमाल होता है लेकिन यहां हम आपको बता दें के पुदीने में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं, और इनसे बड़ी-बड़ी तकलीफों का इलाज होता है. और पुदीना बहुत सारी एंटीबायोटिक दवाओं में भी काम में लिया जाता है अगर आप जानना चाहते हैं के पुदीने के क्या क्या फायदे हैं और क्या इसके औषधीय गुण हैं इस पोस्ट को आप पूरा अंत तक पढ़ते रहे और जानें पुदीने के औषधीय गुणों के बारे में.

पुदीने के फायदे और पुदीने के औषधीय गुण

पुदीना गुणों की खान है साधारण सा दिखने वाला यह पौधा अपने आप में बहुत शक्तिशाली और चमत्कारी प्रभाव रखता है गर्मियों में पुदीने की चटनी खाना भी सेहत के लिए बहुत लाभकारी है. पुदीना औषधीय गुणों के साथ-साथ आपके चेहरे के सौंदर्य निखार के लिए भी बहुत लाभदायक है, इसके अलावा पुदीना एक बहुत अच्छी एंटीबायोटिक दवा भी है. इस पोस्ट में हम आज हम लोग पुदीने से होने वाले फायदे के बारे में ही बात करेंगे. 
पुदीने के फायदे:- पुदीने में फाइबर मौजूद रहते हैं और इसमें मौजूद फाइबर आपके कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मदद करता है, और इसमें मौजूद मैग्नीशियम आपकी हड्डियों को ताकत देता है और इन्हें मजबूत बनाता है. बढे व्यक्ति को उल्टी होने पर 2 चम्मच पुदीना हर 2 घंटे में उस रोगी को पिलाएं इससे जी मचलना या उलटी जैसी बीमारी में बहुत जल्दी आराम मिल जाता है.
अगर आपको पेट संबंधी और अन्य बीमारियां हैं तो पुदीने की पत्तियों को ताजा नींबू का रस और इस के बराबर मात्रा में शहद के साथ मिलाकर लेने से पेट की लगभग सभी बीमारियों में जल्दी आराम मिल जाता है.
पुदीने के फायदे सर्दी जुकाम में:- सर्दी जुकाम या पुराना नजला हो इसके लिए आप थोड़ा पुदीने का रस लें और इसमें काली मिर्च और थोड़ा सा काला नमक मिला लें और जिस तरह हम लोग चाय बनाते हैं ठीक वैसे ही इस को चाय की तरह उबालकर पीने से सर्दी जुकाम और खांसी व बुखार में बहुत जल्द राहत मिल जाती है.
अगर किसी को बहुत ज्यादा हिचकी आ रही हैं तो उसके लिए ताज़ा पुदीने की कुछ पत्तियां चबाने से यह उनका रोशनी छोड़कर इसकी वाले मरीज को पिलाने से तुरंत हिचकियां बंद हो जाती हैं.
महावारी सही और समय पर ना आने पर आप पुदीने की सूखी पत्तियों को चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को दिन में दो बार शहद के साथ मिलाकर नियमित रुप से कुछ दिल देने से महावारी सही से आती है और समय पर आना शुरू हो जाती है.

पुदीना का उपयोग – पुदीना के लाभ – पुदीने के फायदे

अगर किसी को चोट लग जाए या फिर खरोंच आ जाए तो उस स्थान पर कुछ पुदीने की ताजा पत्तियां लेकर उन्हें पीसकर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है. और अगर आपको किसी भी तरह की दाद, खाज, खुजली है या और अन्य प्रकार का कोई और चर्म रोग है तो आप ताजा पुदीने की पत्तियों को लेकर अच्छी तरह पीस लें और इस लेप को अपनी प्रभावित त्वचा में लगाएं इससे बहुत जल्दी आराम मिलता है.
मुंह की बदबू में पुदीने के फायदे:- अगर आपके मुंह से बदबू आती है तो इसके लिए आप बाजार से पुदीना की पत्तियां ले आएं और इसको छांव में अच्छी तरह से सुखा लें, और इसके बाद इन सूखी पत्तियों का अच्छी तरह से चूर्ण बना लें और आप इससे मंजन की तरह इस्तेमाल करें ऐसा करने से आपके मसूड़े स्वस्थ होंगे और आपके मुंह से दुर्गंध आना बिल्कुल बंद हो जाएगी. इस प्रयोग को आप कम से कम 2 सप्ताह या ज्यादा से ज्यादा 1 महीने तक कर सकते हैं.
गले के रोगों में पुदीने के रस को नमक के पानी के साथ मिलाकर कुल्ला करने से आप की आवाज भी साफ होती है और यदि गले में भारीपन या गला बैठने की शिकायत हो तो वह भी इससे दूर हो जाती है.
पुदीने के फायदे तेज़ गर्मी में:- गर्मी की वजह से घबराहट होने पर या जी मिचलाने पर एक चम्मच सूखे पुदीने की पत्तियां और आधा छोटा चम्मच इलायची का चूर्ण एक गिलास पानी में उबालकर, ठंडा होने के बाद पीने से बहुत जल्दी आराम मिलता है और साथ ही हैजा होने की शिकायत है तो प्याज का रस और नींबू का रस पुदीना के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से बहुत जल्द आराम मिल जाता है.

सौंदर्य के लिए पुदीने का उपयोग कैसे करें

तेलीय त्वचा के लिए पुदीने का फेशियल:- अगर आपकी त्वचा तैलीय है तो आपके लिए पुदीने से बना हुआ फेशियल काफी अच्छा रहेगा इसके लिए आप दो बड़े चम्मच अच्छी तरह से पिसी हुई पुदीने की पत्तियां दो चम्मच दही और एक बड़ा चम्मच ओटमील इन सबको मिलाकर एक घोड़ा ले बना लें और इस लेप को अपने चेहरे पर 15 मिनट तक लगा रहने दें इसके बाद इसे आपके चेहरे को ठंडे पानी से धो लें सप्ताह में कम से कम दो बार यह प्रयोग करने से आपकी तेलीय त्वचा सही हो जाती है और साथ ही आपके चेहरे से कील मुंहासे और झाइयां दूर होती हैं.
पुदीने के रस को मुल्तानी मिट्टी के साथ मिलाकर अपने चेहरे पर लेप करने से आपकी ऑयली त्वचा सही हो जाती है और चेहरे से झुर्रियां कम हो जाती है इसके अलावा इसको लगाने से आपके चेहरे की चमक बढ़ जाती है और अगर आप शराब में पुदीने की पत्तियों को पीसकर में चेहरे पर लगाएंगे तो इससे दाग धब्बे और झाइयां भी बिल्कुल साफ हो जाती हैं.
दोस्तों “पुदीने के फायदे” यह पोस्ट कैसी लगी कृपया कमेंट करके हमें जरूर बताएं और साथ ही अपने दोस्तों के बीच अपनी Facebook प्रोफाइल पर इसको जरुर शेयर करें

लकवे रोग का चमत्कारिक इलाज जाने

लकवे रोग का चमत्कारिक इलाज जाने 


लकवे का इलाज और कारण : – लकवा एक खतरनाक बीमारी है और इस प्रकार के बॉडी का आधा हिस्सा काम करना बंद कर देता है. इस बीमारी में शरीर के अंगो में टेढ़ापन आ जाता है. ये बीमारी व्यक्ति की पूरी तरह से असहाय और दूसरों पर पूरी तरह से निर्भर हो जाते है. और हर छोटा से छोटा काम भी करने के लिए वो दुसरो पर निर्भर हो जाते है. लकवा एक लाइलाज बीमारी मानी जाती है लेकिन आयुर्वेद में इसका इलाज संभव है और इसका इलाज भी बहुत है.जब हमारी मांसपेशियाँ कार्य करने में पूर्णतः असमर्थ हों जाती है उस स्थिति को पक्षाघात, लकवा या फालिज कहते हैं.
लकवे होने पर प्रभावी क्षेत्र के भाग को उठाना, घुमाना, फिराना या चलना-फिरना लगभग असम्भव हो जाता है. लकवा अति भागदौड़, क्षमता से बहुत ज्यादा परिश्रम या बहुत अधिक व्यायाम, अति गरिष्ठ भोजन बहुत अधिक मात्रा में लेने से हो सकता है. लकवे का इलाज और कारण जानना बहुत ही जरूरी है. क्योंकि लकवे का इलाज और कारण जानकार हम इसे आसान से ठीक कर सकते है.लकवा होने के कारण कई सारे है जिन्हे जानना बहुत जरूरी है और लकवे की बीमारी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है और नाड़ियों की कमजोरी के कारण भी लकवा हो जाता है. अचानक से शदमा लगने के कारण भी लकवा शरीर में फ़ैल जाता है

लकवे का इलाज और कारण

मांसपेशियों की दुर्बलता और मानसिक दुर्बलता के करना भी लकवा होने की सम्भावना रहती है. बढ़ता हुआ रक्तचाप और उलटी सामान्य से अधिक होना व साथ में दस्त का लगातार होना भी लकवे का मुख्य करना हो सकता है.जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे खून का दौरान रुक जाता है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास खून एकत्र हो जाता है ऐसी अवस्था में शरीर के किसी भी हिस्से में लकवा हो सकता है अथवा किसी हिस्सों में रक्तवाहिका में खून का थक्का बनने के कारण खून की पूर्ति बंद हो जाय तो उस अंग में लकवा हो जाता है
लकवे की बीमारी के कई सारे लक्षण है जिन्हे आप पहले से पहचान सकते है की लकवा है या नहीं जैसे यदि शरीर की नसों का सुख जाना और उनमे तरल का न बहना और व्यक्ति का बोलना खत्म हो जाना भी इसका का लक्षण है. आँख नाक कान और मुँह आदि का टेढ़ा हो जाना बहुत ज़ोरो का सिरदर्द होना और बार बार चक्कर आना लकवा की बीमारी के लक्षण है. शरीर में बहुत तेज सी कम्पन होना भी लकवे का लक्षण है. यदि इन लक्षणों मेसे कोई भी एक लक्षण होता है तो वो लकवा हो सकता है और लकवे का ठीक समय पर उपचार करके इस बीमारी को शरीर में फैलने से रोक सकते है
लकवे में एक बहुत ही सटीक उपचार माना जाता है. उसके अनुसार इस उपचार में पहले दिन लहसुन की पूरी कली पानी के साथ निगल जाएँ. फिर नित्य 1-1 कली बढ़ाते हुए 21वें दिन पूरी 21 कलियाँ निगलें. तत्पश्चात 1-1 कली घटाते हुए निगले. इस प्रयोग को करने से लकवे में शीघ्र ही आराम मिलता है. 10 ग्राम सूखी अदरक और १० ग्राम बच पीसलें इसे ६० ग्राम शहद मिलावें. यह मिश्रण रोगी को 6 ग्राम रोज देते रहें. 10 लहसुन की 4 कली पीसकर दो चम्मच शहद में मिलाकर रोगी को चटा दें. लकवा रोगी का ब्लड प्रेशर नियमित जांचते रहें. अगर रोगी के खून में कोलेस्ट्रोल का लेविल ज्यादा हो तो रोगी तमाम नशीली चीजों से परहेज करे. भोजन में तेल,घी,मांस,मछली का उपयोग न करे.
बरसात में निकलने वाला लाल रंग का कीडा वीरबहूटी लकवा रोग में बेहद फ़ायदेमंद है. बीरबहूटी एकत्र कर लें. छाया में सूखा लें. सरसों के तेल पकावें. इस तेल से लकवा रोगी की मालिश करें. कुछ ही हफ़्तों में रोगी ठीक हो जायेगा. इस तेल को तैयार करने मे निरगुन्डी की जड भी कूटकर डाल दी जावे तो दवा और शक्तिशाली बनेगी. एक बीरबहूटी केले रोजाना देने से भी लकवा में अत्यन्त लाभ होता है. सफ़ेद कनेर की छाल और काला धतूरा के पत्ते बराबर वजन में लेकर सरसों के तेल में पकावें. यह तेल लकवाग्रस्त अंगों पर मालिश करें. अवश्य लाभ होगा. लहसुन की 5 कली दूध में उबालकर लकवा रोगी को नित्य देते रहें. इससे ब्लडप्रेशर ठीक रहेगा और खून में थक्का भी नहीं जमेगा.
लकवा का रोग होने पर एक काले कपड़े में पीपल की सूखी जड़ को बांधकर उसे लकवा से पीडि़त व्यक्ति के सिर के नीचे रखें तो कुछ ही दिनों में इससे लाभ मिलना शुरू हो जाता है.प्रत्येक शनिवार के दिन एक नुकीली कील से लकवा के रोगी के प्रभावित अंग को आठ बार उसारकर मन ही मन में शनिदेव का स्मरण करते हुए उसे पीपल के वृक्ष की मिट्टी में गाड़ दें। साथ ही यह निवेदन करें कि हे शनि देव जिस दिन लकवा का रोग दूर हो जाएगा, हम उस दिन किलों को निकाल लेंगे. ऐसा लगातार 21 शनिवार तक करें और जब लकवा का रोग ठीक हो जाए तब शनिदेव व पीपल को आभार प्रकट करते हुए वह सभी कीलें निकालकर उन्हें नदी में प्रवाहित कर दें.

अनिद्रा की (Insomnia) आयुर्वेद में चमत्कारी दवा जाने

अनिद्रा की (Insomnia) आयुर्वेद में  चमत्कारी दवा  जाने 


निद्रा शरीर की सबसे प्रधान आवश्यकता है. नींद आने पर ही शरीर का हर कार्य सुनियंत्रित रहता है. आज के समय में जितनी तकनीकी प्रगति मनुष्य ना कर ली है, उसके बदले में अपनी नींद गवाकर बहुत बड़ी कीमत भी चुकाई है. आज का इंसान ईंट और सेमेंट से बनी दीवारों में घिरकर रह गया है और धूप, शुद्ध जल, शुद्ध हवा के लिए बस तरस कर ही रह गया है. अब उसे पक्षियों की चहचहाहट नही सुनाई देती अपितु गाड़ियों के हॉर्न, पेट्रोल का धुआँ यही नवीन मनुष्य की किस्मत में रह गया है
प्रकृति से इतना दूर हो जाने से सीधा प्रभाव मनुष्य की नींद पर पड़ता है. इसके अलावा भोजन और दिनचर्या का भी असर मनुष्य की नींद पर प्रमुख तौर पर देखने को मिलता है.
हर व्यक्ति की निद्रा की आवश्यकता अलग-अलग होती है. कुछ लोग सिर्फ़ 6 घंटे की नींद से तरो-ताज़ा महसूस करते हैं जबकि कइयों में यह आवश्यकता 10 घंटे तक भी जाती है. पर औसतन मनुष्य 6-8 घंटे तक ही सोते हैं. अनिद्रा के कारण काम करते वक़्त तनाव बढ़ जाता है अत्यंत दुष्कर स्थिति की तरह प्रतीत होता है.

अनिद्रा के कारण (Causes Of Insomnia In Hindi)

अनिद्रा के अनेक कारण हैं. परंतु मुख्य कारण मानसिक परेशानी है. किसी भी प्रकार की दर्द, असुविधाजनक मौसीम और वातावरण. अधिक परिश्रम और अत्यंत तनाव व्यक्ति, पेट में गड़बड़ी, क़ब्ज़, अनियमित खानपान की वजह से भी यह शिकायत बढ़ जाती है

वे सब कारण जिनसे व्यक्ति का वात अनियंत्रित हो जाता है, उससे अनिद्रा की समस्या उत्पन्न होती है. ग़लत खानपान एवं अनियमित जीवनचर्या के कारण वात और पित्त का प्रकोप निद्रा को प्रभावित कर देता है. अत्यधिक चाय और कॉफी लेने से भी वात में गड़बड़ उत्पन्न होती है. मानसिक तनाव से वात में भारी असंतुलन उत्पन्न होता है. व्यक्ति को नींद आने में दिक्कत महसूस होती है तथा बिस्तर पर करवटें बदलने में ही उसकी रात्रि व्यतीत हो जाती है.
पित्त की विकृति से उत्पन्न अनिद्रा में सोने के पश्चात व्यक्ति बार-बार उठ जाता है. डर, घबराहट, धड़कन का बढ़ना, पसीना आना, ये सब लक्षण नींद के टूटने पर महसूस किए जाते हैं. यह भी हो सकता है व्यक्ति की नींद सुबह जल्दी ही टूट जावे और उठने के बाद फिर से उसे नींद नही आती हालाँकि यह लगता है जैसे निद्रा पूरी नही हुई और सोने के पश्चात जो ताज़गी मिलती है वह व्यक्ति को अनुभव नही हो पाती.
वास्तव में अनिद्रा का रोग तीनों दोषों में विकृति के कारण हो सकता है.
आयुर्वेद के अनुसार तर्पक कफ, साधक पित्त और प्राण वात में अभिवृद्धि अथवा असंतुलन उत्पन्न होने से अनिद्रा रोग व्यक्ति को ग्रसित कर लेता है. प्राण वात के कुपित होने से मस्तिष्क की तंत्रिकाएँ अतिसंवेदनशील हो जाती है. इस कारण अनिद्रा का रोग किसी भी कारण से उत्पन्न हो जाता है.

अनिद्रा में कारगर कुछ आयुर्वेदिक औषधियाँ ( Ayurvedic Herbs Useful In Insomnia In Hindi)

ब्राहमी: यह औषधि अनिद्रा में अत्यंत लाभ देती है. रात्रि के समय चूर्ण के रूप में अथवा उबाल कर इसका कादा पीने से या फिर किसी भी रूप में ब्राहमी का सेवन इस रोग में बहुत लाभकारी है. इसके अलावा यह दिमाग़ की कार्यशक्ति को बढ़ाती है.
बच: यह औषधि मस्तिष्क की विभिन्न समस्यायों के इलाज में प्रयोग होती है. अप्स्मार, सिरदर्द, अनिद्रा इत्यादि सभी रोगों के निदान को करने वाली इस औषधि का प्रयोग बहुत सी दवाइयों में किया जाता है.
अश्वगंधा: यह जीवनी शक्ति को बढ़ाने के लिए अत्यंत कारगर है. इसके उपयोग से मन और इन्द्रियों के बीच अच्छा तालमेल बनता है. आयुर्वेद के अनुसार यह तालमेल अच्छी नींद के लिए अत्यंत आवश्यक है. रात्रि सोने से पूर्व दूध अथवा शर्करा और घृत के साथ आधा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करना अत्यंत हितकर है.
जटामानसी: इस औषधि द्वारा मस्तिष्क में प्राकृतिक तंत्रिकासंचारक के स्तर को प्राकृतिक रूप से संतुलित करने में सहायता करता है. इसका उपयोग  उपशामक(sedative), अवसाद-नाशक(anti-depressant), अपस्मार- रोधक(anti-epileptic), एवं हृदय-वर्धक (heart-tonic) के रूप में किया जाता है. यह औषधि ना केवल तनाव की स्थिति में मस्तिष्क को शांत कर निद्रा लाने में सहायक है अपितु थकान से ग्रस्त मान में उर्जा का संचार भी करती है. इससे शरीर के सभी अंगों में कार्यशीलता में वृद्धि और संतुलन का निर्माण होता है. इस औषधि को चूर्ण के रूप में सेवन किया जा सकता है. इसका एक-चौथाई चम्मच सोने से 4-5 घंटे पूर्व 1 गिलास पानी में भिगोकर रखें. रात्रि को पानी छान कर पीने से अनिद्रा में लाभ मिलता है.
तगार: यह मस्तिष्क की तंत्रिकाओं (nerves) को बल प्रदान करने वाली औषधि है और रक्त, जोड़, आँतों और शरीर के विभिन्न कोषों (tissues) में से जीव विष (toxins) का निकास करने में सहायक सिद्ध होती है.

अनिद्रा में हितकारी कुछ आयुर्वेदिक प्रयोग ( Ayurvedic Treatments Useful In Insomnia In Hindi)

पिप्पली मूल चूर्ण: इस चूर्ण का 1.5 ग्राम सोने से पूर्व लेना चाहिए.
स्वामक्षक भस्म: 1 ग्राम स्वामक्षक भस्म पानी के साथ सोने से पूर्व लेने से अनिद्रा में लाभ मिलता है.
वातकुलान्तक: 125 मिलीग्राम रोज़ शहद के साथ लेना हितकर है.
निद्रोदय रस: 125 मिलीग्राम रोज़ शहद के साथ सेवन करें.

पंचकर्म प्रणाली द्वारा अनिद्रा का उपचार (Treatment Of Insomnia Through Panchkarma Techniques In Hindi)

पंचकर्म प्रणाली द्वारा शिरोबस्ती, शिरोधरा, नास्यम.
अभ्यनगम: इस क्रिया में पूरे शरीर की मालिश वात-रोधक औषधि सिद्ध तेलों द्वारा की जाती है. तिल तेल, नारायण तेल अथवा बाल तेल का प्रयोग से शरीर में शांति उपार्जित होती है तथा ब्राहमी के तेल से सिर मेी की गयी मालिश अत्यंत गुणकारी है.
पाद अभ्यन्गम: पैरों के तले को क्षीरबल के तेल से मालिश करने से पुर श्रीर सहित मस्तिष्क की नसों में विश्रान्ति उत्पन्न होती है

घरेलू नुस्खे द्वारा अनिद्रा का शमन  (Ayurvedic Home Remedies Useful In Treatment Of  Insomnia In Hindi)

  • 1 गिलास हरी एलाईची वाले गर्म दूध का सेवन सोने से पहले अत्यंत सहायक है.
  • 1 चम्मच मुलेठी का पाउडर 1 गिलास दूध के साथ प्रातः काल सेवन करना चाहिए.
  • 3 ग्राम पुदीने के पत्ते लेकर 1 कप पानी में 15-20 मिनट तक उबालें. रात्रि को सोने से पहले एक चम्मच शहद के साथ कुनकुने होने पर सेवन करें.
  • सोने से पहले नारियल या सरसों तेल से पैरों और पिंडलियों में मालिश करना अत्यंत लाभकर है.
  • 1 चम्मच ब्राहमी और अश्वगंधा का पाउडर 2 कप पानी आधा रह जाने तक उबालें. रोज़ सुबह इसका सेवन करना लाभदायक है.
  • कटे हुए केले पर पीसा हुआ ज़ीरा डाल कर प्रति रात्रि शयन से पूर्व खाना भी नींद लाने में सहायक है.
  • पथ्य/ अपथ्य तथा जीवनचर्या में कुछ लाभदायक सुधार (Diet Recommended In Ayurveda For Treatment Of Insomnia In Hindi)

  • ताज़े फलों और सब्जियों का सेवन, छिलकासहित पिसे हुए अन्न, छिलका सहित दालें, दुग्ध एवं मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए.
  • क्रीम की ड्रेसिंग वेल सलाद का सेवन करें.
  • गाय के दूध से निर्मित माखन का उपयोग करें.
  • शराब, कॅफीन युक्त पदार्थ और शीत कार्बोननटेड पेय का सेवन ना करें.
  • कंप्यूटर, मोबाइल और टी वी का प्रयोग कम से सोने से 2 घंटे पूर्व ना करें.
  • रात्रि का खाना सोने से कम से कम 3 घंटे पहले हो जाना चाहिए.
  • तिल तेल से मालिश और गर्म पानी से स्नान अनिद्रा दूर करने में सहायक हैं.