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Friday, 14 July 2017

शरीर में खुजली को जड़ से ख़त्म करे

शरीर में खुजली को जड़ से ख़त्म करे 


​शरीर में खुजली कभी भी और कहीं भी हो सकती है। खुजली होनें के कई कारण हो सकते है लेकिन इसका मुख्य कारण है एलर्जी या इन्फेक्शन। हाथों-पैरों और पुरे शरीर में खुजली होना एक थका देने वाली बिमारी है। खुजली या दाद से ग्रस्त व्यक्ति खुजली करते करते अपने शरीर से खून तक निकाल लेता है।
ज्यादातर खुजली या दाद बारिश के मौसम में होती है। अगर खुजली या दाद का समय रहते इलाज़ न किया जाए तो यह भयंकर तरीके से फ़ैल सकते है। इसीलिए हम आपके लिए आयुर्वेद के खजाने से लेकर आये हैं खुजली और दाद का पक्का, आसान और असरदार इलाज़।
सारे शरीर में खुजली और दाद का आयुर्वेदिक और प्राकृतिक इलाज़, उपाय और विकल्प
100 ग्राम नारियल के तेल में 5 ग्राम देशी कपूर (कपूर डेला) मिलाकर किसी काँच की शीशी में भर लें और कसकर डाट लगा दें। हिलाने अथवा कुछ देर शीशी को धुप लगाने से तेल और कपूर मिलकर एकरस होकर घुल जायेंगे। रोजाना स्नान से पहले इस तेल की मालिश करने से सारे शरीर में उठने वाली सुखी खुजली में आराम होता है।
दाद आदि चरम विकार भी दूर होते हैं। सारे बदन पर इस कपूर के तेल की 10 बूँदे बाल्टी भर पानी में डालकर नहाने से भी वह शांत हो जाती है।
विशेष –

  • दाद विशेषकर (जिसमें फुंसी की तरह दाना निकलकर जलन और खुजली के साथ पानी भी निकलता हो) में इस तेल को रात को सोते समय दाद के स्थान पर लगायें। पट्टी की आवश्यकता नहीं है। सप्ताह अथवा कुछ दिनों में घाव भर जाएगा और पहले सफ़ेद खाल आएगी। सफ़ेद खाल आने पर अकेला नारियल का तेल लगाएँ। प्रायः एक महीने में त्वचा अपने असली रंग में आ जाती है।
  • यदि अँगुलियों के अग्रिम पोरों में या नाखूनों के आस-पास कपड़ा धोने से (साबुन के दुष्प्रभाव से) सूजन, दर्द हो या पपड़ी जैम जाती हो तो कपड़ा धोनें के बाद इस घोल को लगाते रहने से अंगुलियाँ और नाख़ून ठीक रहते हैं।
सहायक उपचार –

  • साथ ही त्रिफला चूर्ण चार ग्राम (एक चम्मच भर) निरंतर सोते समय पानी के साथ सेवन करते रहे जब तक कि खुजली को आराम न हो जाये। इससे खुजली समाप्त हो जाती है। तेल, मिर्च, खटाई का परहेज़ सेवन काल मे करें तो शीघ्र और स्थाई लाभ होगा।
  • त्रिफला करना के सेवन के साथ त्रिफला जल (25 ग्राम त्रिफला चूर्ण 500 ग्राम जल में 12 घंटे भिगोकर) से खाज-खुजली ग्रस्त अंगों को दिन में एक बार धोते रहनें से आँखों , सिर व गुदा की खुजली और बवासीर में लाभ होता है और चरम रोग दूर होते हैं।
  • काली मिर्च का चूर्ण एक ग्राम, गाय का घी दस ग्राम के साथ लेने से सब प्रकार की खुजली, दाद एवं विष का प्रभाव दूर होता है। नित्य प्रायः खाली पेट इक्कीस दिन तक लें। इसे लेने के बाद दो घंटे तक कुछ न खाएँ।
  • चने के आटे की रोटी बिना नमक की दो महीने तक खाने से खुजली और दाद दोनों दूर हो जाते हैं।
विकल्प – नीम की 21 कोपलें साफ़ कर लें। जाला, मिट्टी न होनी चाहिए। 11 काली मिर्च भी मिला लें। 60 ग्राम पानी में घोंटकर सुबह-शाम सात दिन पीने से खून साफ़ हो जाता है और खुजली नहीं रहती।बालकों को अवस्थानुसार 5, 7, 11 कोपलें 10, 20, 30 ग्राम पानी में में घोटकर पिलाएँ। साथ ही फुंसी पर नीम की छाल को अन्दर की तरफ़ से चन्दन की तरह पानी में घिसकर लगायें। इस्क्के साथ नीम के पत्ते (साफ़ कर) उबले पानी से स्नान करे।
इस नीम के पानी से बगल को धोते रहने से एक सप्ताह में बगलगन्ध दूर हो जाती है।