Tuesday, 20 April 2021

Garlic health benefits

 


आयुर्वेद में लहसुन को चमत्कारिक गुणों वाला औषधि बताया गया है, जिसके कई फायदे हैं। यह सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि इसके सेवन से शरीर को स्वस्थ रखने में भी मदद मिलती है। यही वजह है कि कई घरेलू नुस्खों में लहसुन का उपयोग किया जाता है। दरअसल, लहसुन में कई प्रकार के पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। इनमें कैल्शियम से लेकर कॉपर, पोटैशियम, फॉस्फोरस, आयरन और विटामिन बी1 आदि शामिल हैं। वैसे तो किसी भी प्रकार से लहसुन का सेवन फायदेमंद ही होता है, लेकिन खाली पेट इसका सेवन बेहद ही लाभकारी होता है। आइए जानते हैं खाली पेट इसके सेवन के फायदों के बारे में... 

अगर आप रोज सुबह खाली पेट लहसुन का सेवन करें तो पेट संबंधी समस्याओं, जैसे कि कब्ज और गैस से राहत मिल सकती है। साथ ही पाचन तंत्र भी सही रहेगा। जो लोग एसिडिटी की समस्या से परेशान हैं, उन्हें भुना हुआ लहसुन खाने की सलाह दी जाती है।

note    यह सलाह केवल आपको सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए दी गई है। आप किसी भी चीज का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।


Sunday, 18 April 2021

Stomach gas

 








गैस क्या है (What is Gas)

पेट से जुड़ी समस्याओं में पेट में वायु बनना या गैस बनना सबसे आम समस्या  है, इसे पेट या आँतों की गैस और पेट फूलने के रूप में भी परिभाषित किया जाता है। जब खाना खाते हैं तब पाचनक्रिया के दौरान हाइड्रोजन, कार्बनडाइऑक्साइड और मिथेन गैस निकलता है जो गैस बनने या एसिडिटी होने का कारण होता है। वैसे तो आयुर्वेद के अनुसार पेट संबंधी सभी समस्याएं शरीर के त्रिदोष के कारण होते हैं अत: वात, पित्त, कफ इन तीनों क्रियाओं को शांत करने वाले उपचार (gas ki problem ka ilaj) करने चाहिए तथा इन रोगों में जौ, मूँग, दूध, आसव, मधु, इत्यादि का सेवन करना चाहिए। जठराग्नि की दुर्बलता से मल, वात आदि रोग हो जाते हैं तब इससे सारी व्याधिया उत्पन्न होती है मल की अधिकता के कारण जठराग्नि कमजोर होने लगती है। जब पाचन सही प्रकार से नहीं होता है तो उदर में बनने वाली अपान वायु तथा प्राण वायु बहार नहीं निकल पाती है।

पेट में गैस बनने के लक्षण (Symptoms of Gas in Hindi)

आम तौर पर पेट में गैस बनने का मूल लक्षण पेट में दर्द होता है। लेकिन इसके अलावा भी और भी लक्षण है जो एसिडिटी होने पर नजर आते हैं-

  • सुबह जब मल का वेग आता है तो वो साफ नहीं होता है और पेट फूला हुआ प्रतीत होता है।
  • पेट में ऐंठन और हल्के-हल्के दर्द का आभास होना।
  • चुभन के साथ दर्द होना तथा कभी-कभी उल्टी होना।
  • सिर में दर्द रहना भी इसका एक मुख्य लक्षण हैं।
  • पूरे दिन आलस्य जैसा महसूस होता है।

गैस बनने के कारण (Causes of Gas in Hindi)

आयुर्वेद में वात, पित्त एवं कफ इन तीन दोषों के असंतुलन से ही सारे रोग होते हैं तथा इनके सामान्य अवस्था में रहने से व्यक्ति रोगरहित रहता है। उदररोगों में उदरवायु सबसे आम समस्याओं में से एक देखी जाती है, यह वात के कारण होने वाला रोग है। अनुचित आहार-विहार के कारण वात प्रकुपित होकर अनेक रोगों को जन्म देता है तथा उदर में उदरवायु अथवा गैस की समस्या से व्यक्ति को जूझना पड़ता है। आयुर्वेद में वायु के पाँच प्रकार बताए गए हैं- प्राण, उदान, समान, व्यान एवं अपान वायु। उदर वायु समान एवं अपान वायु की विकृति से उत्पन्न होती है। लेकिन इसके पीछे बहुत सारे आम कारण होते हैं जिनके वजह से गैस (pet me gas ke upay) होती है, चलिये इनके बारे में पता लगाते हैं।

  • अत्यधिक भोजन करना
  • बैक्टीरिया का पेट में ज्यादा उत्पादन होना
  • भोजन करते समय बातें करना और भोजन को ठीक तरह से चबाकर न खाना।
  • पेट में अम्ल का निर्माण होना।
  • किसी-किसी दूध के सेवन से भी गैस की समस्या हो सकती है।
  • अधिक शराब पीना
  • मानसिक चिंता या स्ट्रेस
  • एसिडिटी, बदहजमी, विषाक्त खाना खाने से, कब्ज और कुछ विशेष दवाओं के सेवन
  • मिठास और सॉरबिटोल युक्त पदार्थों के अधिक सेवन से गैस बनता है।
  • सुबह नाश्ता न करना या लम्बे समय तक खाली पेट रहना।
  • जंक फूड या तली-भुनी चीजें खाना।
  • बासी भोजन करना।
  • अपनी दिनचर्या में योग और व्यायाम को शामिल न करना।
  • बीन्स, राजमा, छोले, लोबिया, मोठ, उड़द की दाल का अधिक सेवन करना।
  • कुछ खाद्य पदार्थों से कुछ लोगों को गैस बन जाता है जबकि कुछ लोगों को उससे कोई गैस नहीं बनता है जैसे; सेम, गोभी, प्याज, नाशपाती, सेब, आडू, दूध और दूध उत्पादों से अधिकांश लोगों को गैस बनती है।
  • खाद्य पदार्थ जिनमें वसा या प्रोटीन के बजाय कार्बोहाइड्रेट का प्रतिशत ज्यादा होता है, के खाने से ज्यादा गैस बनती है।
  • भोजन में खाद्य समूह में कटौती की सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि आप अपने आप को आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित भी नहीं रख सकते हैं, अक्सर, जैसे ही एक व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, कुछ एंजाइमों का उत्पादन कम होने लगता है और कुछ खाद्य पदार्थों से अधिक गैस भी बनने लगती है।
  • यहां तक कि स्तनपान करने वाले शिशुओं में उदरवायु यानि पेट में दर्द होने की समस्या अक्सर देखी जाती है। उचित प्रकार से स्तनपान न कराने या माता द्वारा वात बढ़ाने वाले आहार लेने से ऐसी समस्या हो जाती है। वहीं भोजन ग्रहण करने वाले बच्चों में वातवर्धक आहार, फास्ट फूड, जंक फूड इन सब के सेवन से उदरवायु की समस्या देखी जाती है.

Saturday, 17 April 2021

Healthy food

 स्वास्थ्यकारी भोजन

स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वास्थ्यकारी आहार आदतें बहुत महत्व रखती हैं।इसमें खाया गया भोजन, दो खानों के बीच का अन्तराल खाने की चीजों का आपसी मेल व उनकी मात्रा, स्वच्छता तथा खाने के उपयुक्त तरीका शामिल है ।

  • भोजन ताजा, स्वादिष्ट व सुपाच्य होना चाहिए ।
  • किन्हीं भी दो भोजनों में कम से कम चार घंटे का अंतर होना चाहिए ।
  • एक वक्त के भोजन में खाने की सीमित चीजों होना चाहिए और वे परस्पर बेमेल नहीं होनी चाहिए।जैसे दूध व संतरे का रस ।
  • भोजन हल्का होना चाहिए ।
  • भोजन केवल भूख लगने पर ही खाना चाहिए और वह व्यक्ति की पाचन क्षमता के अनुरूप होना चाहिए।
  • भोजन शांत व आनंदमय वातावरण में खाना चाहिए ।
  • भोजन को अच्छी तरह चबाना चाहिए ।
  • भोजन के साथ फल नहीं खाने चाहिए।उन्हें दो भोजनों के वक्त अल्पाहार के रूप में खाना चाहिए ।
  • भोजन के एक घंटे पहले और बाद में पानी नहीं पीना चाहिए।पानी भोजन के बीच- बीच में और कम मात्रा में पीना चाहिए ।

शरीर के क्रियाकलापों में संतुलन बनाए रखने के लिए उपयुक्त व नियमानूसार नींद बहुत जरूरी है।अच्छे स्वास्थ्य का मूलमंत्र है – “जल्दी सोना और जल्दी उठना” एक औसत व्यक्ति के लिए 6-8 घंटे की नींद पर्याप्त होती है आदर्श नींद वह है जिसमें कोई व्यवधान न पड़े और जो 100-100 मिनट के चार क्रमिक चक्रों में ली जाए यानी 6 घंटे और 40 मिनट की चार बार में ली गई नींद।अधिक सोने से आलस्य तथा रोग पैदा होते हैं ।....

Hairgrowth

 

बालों की रूसी दूर करने के लिए

१. नारियल के तेल में निम्बू का रस पकाकर रोजाना सर की मालिश करें...

२. पानी में भीगी मूंग को पीसकर नहाते समय शेम्पू की जगह प्रयोग करें....

३. मूंग पावडर में दही मिक्स करके सर पर एक घंटा लगाकर धो दें.

४ रीठा पानी में मसलकर उससे सर धोएं.

५. मछली, मीट अर्थात nonveg त्यागकर केवल पूर्ण शाकाहारी भोजन का प्रयोग भी आपकी सर की रूसी दूर करने में सहायक होगा.

आयुर्वेद के स्वास्थ्य लाभ....

 

आयुर्वेद के स्वास्थ्य लाभ....
 

1. स्वस्थ वजन, त्वचा और बाल का रखरखाव

एक स्वस्थ आहार और आयुर्वेदिक इलाजों के माध्यम से जीवनशैली में संशोधन करके शरीर से अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद मिलती है। आयुर्वेद खान-पान में सुधार लाकर एक स्वस्थ वजन को मेन्टेन करने में मदद करता है। ऑर्गेनिक और प्राकृतिक तरीकों से आप स्वस्थ त्वचा पा सकते है।  सिर्फ यही नही, संतुलित भोजन, टोनिंग व्यायाम और आयुर्वेदिक पूरक / सप्लीमेंट के मदद से न केवल आपका शरीर स्वस्थ रहेगा बल्कि मन भी प्रसन्न रहेग।

2. आयुर्वेदिक इलाज आपको तनाव से बचने में मदद करता हैं।

योग, मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज, मसाज और हर्बल उपचारों का नियमित अभ्यास शरीर को शांत, डिटॉक्सिफाई और कायाकल्प करने में मदद करता है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज शरीर पर सक्रमण को बनाए रखते हैं और कोशिकाओं में अधिक मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। अवसाद और चिंता को दूर रखने के लिए आयुर्वेद में शिरोधारा, अभ्यंगम, शिरोभ्यंगम, और पद्यभंगम जैसे व्यायामों की सलाह दिया जाता है।

3. जलन और सूजन में मदद करें:

उचित आहार की कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन दिनचर्या, अपर्याप्त नींद, अनियमित नींद पैटर्न और खराब पाचन से सूजन हो सकती है। न्यूरोलॉजिकल रोगों, कैंसर, मधुमेह, हृदय संबंधी समस्याओं, फुफ्फुसीय रोगों, गठिया, और कई अन्य रोगों का मूल कारण सूजन से शुरू होता है। जैसे-जैसे आप अपने दोष के अनुसार खाना शुरू करते हैं, पाचन तंत्र मजबूत होने लगता है। सही समय पर कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन रक्त और पाचन तंत्र में विषाक्त पदार्थों को कम करता है। जिससे जीवन शक्ति और उच्च ऊर्जा प्राप्त होता है और साथ ही साथ मूड स्विंग्स और सुस्ती को कम करने में मदद करता है।

4. शरीर का शुद्धिकरण:

आयुर्वेद में पंचकर्म में एनीमा, तेल मालिश, रक्त देना, शुद्धिकरण और अन्य मौखिक प्रशासन के माध्यम से शारीरिक विषाक्त पदार्थों को समाप्त करने का अभ्यास है। आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं में बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाने वाले उपयुक्त घरेलू उपचार जीरा, इलायची, सौंफ और अदरक हैं जो शरीर में अपच को ठीक करते है। 

5. कैंसर, निम्न रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल सहित बाकि क्रिटिकल बीमारियों से बचाव:

आयुर्वेदिक उपचार कैंसर की रोकथाम के लिए भी बहुत जाने जाते हैं। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि आयुर्वेदिक आहार और विश्राम तकनीक पट्टिका बिल्डअप को कम करने में मदद करते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा जड़ी बूटियों विटामिन, खनिज और प्रोटीन की एक भीड़ प्रदान करती है। ये एक उचित खुराक में एक साथ मिश्रित होते हैं और प्रतिरक्षा संबंधी विकारों को रोकने और मुकाबला करने के लिए एक इष्टतम समय पर प्रशासित होते हैं।

चिकित्सा की इस प्राचीन कला, आयुर्वेद ने पुरातन चिकित्सा शास्त्र के अन्य रूपों जैसे तिब्बती चिकित्सा और पारंपरिक चीनी चिकित्सा को आगे बढ़ने में मदद की है। यह चिकित्सा के सबसे पुराने और प्रचलित रूपों में से एक है। इसका उपयोग यूनानियों द्वारा भी किया जाता था। माना जाता है कि हम जो भोजन करते हैं, वह हमारे सामग्रीक भलाई  पर प्रभाव डालता है, और हमें अभ्यस्त या दुर्बल बना सकता है। हम जो खाते हैं वह निर्धारित करता है के हम ऊर्जावान होंगे या सुस्त होंग।